Chanakya Niti in Hindi: मौर्यवंश के राजनीतिज्ञ गुरु आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों के बारे में जाने जाते हैं. उन्होंने अपनी नीतियों में जीवन, प्रेम, व्यवसाय, नैतिक आचरण और अर्थव्यवस्था से जुड़ी कई बातें बताई हैं. चाणक्य की ये बातें इतनी सटीक मानी जाती है कि, इसका अनुसरण करने पर व्यक्ति का जीवन सुखद रहता है.
बताया जाता है कि चाणक्य का जन्म पाटलिपुत्र (अब पटना) में 375 ईसा पूर्व हुआ और इनकी मृत्यु 283 ईसा पूर्व हुई थी. चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्र थे. लेकिन केवल राजनीति ही नहीं बल्कि चाणक्य ने अपनी पुस्तक में आचार-विचार के आधार पर भी कई बातों का जिक्र किया, जो मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के लिए कारगर माने जाते हैं.
चाणक्य की नीतियों के कारण ही एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट बनाया गया है. साथ ही ये तक्षशिला में भी आचार्य थे. आइये जानते हैं लव रिलेशन या प्रेम संबंधों को लेकर आचार्य चाणक्य की नीतियों के बारे में-
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्।
स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्तवा वसेत्सुखम्।।
अर्थ है- चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं कि, जिससे प्रेम होता है भय भी उसी से होता है. प्रेम ही सारे दुखों का मूल है. इसलिए प्रेम बंधनों से मुक्त होकर सुखपूर्वक रहना चाहिए.
आचार: कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्।
सम्भ्रमः: स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम्।।
अर्थ है: चाणक्य नीति कहती है कि, आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय , बोली से देश का परिचय, आदर-सत्कार से प्रेम का और शरीर को देखकर भोजन का पता चलता है.
सा भार्या या सुचिदक्षा सा भार्या या पतिव्रता।
सा भार्या या पतिप्रीता सा भार्या सत्यवादिनी।।
अर्थ है- चाणक्य कहते हैं कि पत्नी वही है जो कुशल और पवित्र हो. पत्नी वही है जो पतिव्रता है. पत्नी वही है जो पति से प्रेम करती है और पत्नी वही हो जो पति से सत्य बोले.
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