Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को धन के मामले में बहुत ही सतर्क होना चाहिए. धन बुरे वक्त में सच्चे मित्र की भूमिका निभाता है. धन व्यक्ति के आत्मविश्वास में भी वृद्धि करता है. जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास का होना बहुत ही जरूरी माना गया है. लेकिन कभी कभी धन की अधिकता व्यक्ति को अहंकारी भी बनाती है. इस स्थिति से बचना चाहिए. क्योंकि अहंकार व्यक्ति को हानि पहुंचाता है.


गीता के उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अहंकार के दोष के बारे में बताया था. अहंकार व्यक्ति को सर्वनाश तक करा देता है इसलिए इससे दूर ही रहना चाहिए. विद्वानों की मानें तो धन व्यक्ति के लिए एक साधन के तौर पर है. जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी जरूरतों को पूरा करता है. किसी भी साधन का गलत ढंग से प्रयोग करने उसका अस्तित्व समाप्त होने लगता है. इसलिए धन के मामले में व्यक्ति को बहुत ही सचेत रहना चाहिए.


धन की बचत करनी चाहिए
विद्वानों की मानें तो व्यक्ति को धन की बचत करनी चाहिए. जो व्यक्ति धन की बचत नहीं करता है. उसे भविष्य में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. धन जरूरत के समय काम आता है. इसलिए धन का संचय करना चाहिए. अनावश्यक तरीके से धन का व्यय नहीं करना चाहिए.


धन का व्यय मानसिक तनाव का कारण भी बनता है
धन का अधिक व्यय मानसिक तनाव का कारण भी बनता है. इसलिए इसके प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए. धन का उतना ही व्यय करना चाहिए जितनी जरूरत है. ये बात उन लोगों को विशेष तौर पर ध्यान में रखनी चाहिए जो आय से अधिक धन खर्च करते हैं. ऐसे लोगों के जीवन में संकट कभी कम नहीं होते हैं. इसलिए मानसिक तनाव की स्थिति से बचना है तो धन का व्यय सोच समझकर ही करना चाहिए.


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