Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि बिना विचार किए हुए कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए. मित्रता के मामले में भी यही बात लागू होती है. विद्वानों की मानें तो सच्चा मित्र, जीवन में किसी उपहार से कम नहीं होता है.


गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि व्यक्ति के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए. अच्छी संगत व्यक्ति को सफलता प्रदान करती है. वहीं जब आपके पास गलत और नकारात्मक विचारों वाले व्यक्तियों की संख्या अधिक रहती है तो आप सत्यता से दूर हो जाते हैं. एक समय ऐसा भी आता है जब आपकी पराजय और हानि तय है. इसलिए अपने आसपास श्रेष्ठ गुणों से युक्त व्यक्तियों को रखना चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के मध्य एक सखा यानी एक मित्र का भी संबंध था. महाभारत में पांडवों की विजय में भगवान श्रीकृष्ण का विशेष योगदान माना जाता है.


कहने का अर्थ ये है कि सच्चा मित्र कठिन से कठिन दौर से भी निकालने में सक्षम होता है. चाणक्य कहते हैं कि मित्र की पहचान संकट और विपत्ति आने पर होती है. विपत्ति आने पर स्वार्थी व्यक्ति सबसे पहले साथ छोड़ जाते हैं. लेकिन सच्चा मित्र परछाई की तरह साथ खड़ा रहता है. इसलिए मित्रता करते समय इन बातों का ध्यान रखें-


सच्चा मित्र सदैव आपको गलत कार्य को करने से रोकेगा
विद्वानों की मानें तो हाथ मिलाने वाला हर व्यक्ति मित्र नहीं होता है. इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए. भौतिक युग में जहां हर चीज के पीछे स्वार्थ और हित छिपे होते हैं, ऐसे में सही और गलत व्यक्ति की पहचान करना मुश्किल होता है. सच्चा मित्र सदैव आपको गलत कार्य को करने से रोकेगा, सही और गलत का भेद समझाने की कोशिश करेगा.


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