Safalta Ki Kunji: चाणक्य के अनुसार धन की देवी लक्ष्मी उसी व्यक्ति को अपना आर्शीवाद प्रदान करती हैं जो मानव कल्याण की भावना से अपने सभी कार्यों को करता है. गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जो व्यक्ति दूसरों के हित और सम्मान के बारे में विचार करता है उसके जीवन में सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है.


लक्ष्मी जी सुख- समृद्धि में भी वृद्धि करती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मी जी को स्वच्छता और अनुशासन अधिक पसंद है. जो लोग दूसरों का भला सोचते हैं ऐसे लोगों को लक्ष्मी जी अपना आर्शीवाद प्रदान करती हैं.


लक्ष्मी जी ऐसे लोगों से नाराज होती हैं
लक्ष्मी जी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे कोमल हृदय के लोगों को अधिक पसंद करती है. कोमल हृदय वाले व्यक्ति किसी का भी अहित नहीं करते हैं. ऐसे लोग सभी का सम्मान करते हैं. लेकिन जो लोग कमजोर लोगों को परेशान करते हैं, उनका शोषण करते हैं और पीड़ा पहुंचाते हैं ऐसे लोगों का लक्ष्मी जी बहुत जल्द ही साथ छोड़ देती है. लक्ष्मी जी के जाने के बाद ऐसे लोगों का बुरा दौरा आरंभ हो जाता है. इसलिए कमजोर व्यक्तियों का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए उन्हें यथा संभव सम्मान देना चाहिए.


धन का अहंकार नहीं करना चाहिए
चाणक्य की मानें तो लक्ष्मी जी का स्वभाव बहुत ही चंचल है. लक्ष्मी जी एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रूकती हैं. इसलिए धन आने पर अहंकार नहीं करना चाहिए जो लोग ऐसा करते हैं वे आगे चलकर परेशानियों का सामना करते हैं. क्योंकि धन कभी भी स्थाई नहीं होता है ये आता और जाता रहता है. इसलिए धन का कभी अहंकार नहीं करना चाहिए.


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