Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि बुर वक्त में धन ही सच्चे मित्र की भूमिका निभाता है. व्यक्ति का जब बुरा समय आता है तो कई बार अपने भी छोड़कर चले जाते हैं, सगे - संबंधी भी बुरे वक्त में दूरी बना लेते हैं. व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं. जिस प्रकार से रात के बाद दिन आता है उसे प्रकार से दुख के बाद सुख आता है.जीवन में ये चक्र चलता रहता है. इसीलिए चाणक्य ने धन के संचय पर जोर दिया है ताकि बुरे वक्त में धन आपकी मदद कर सके.


धन के महत्व को समझो
लक्ष्मी जी को धन की देवी माना गया है. शास्त्रों में लक्ष्मी जी का स्वभाव चंचल बताया गया है. यानि ये एक स्थान पर अधिक दिनों तक नहीं रहती हैं. ये अपना स्थान बदलती रहती हैं. इसलिए व्यक्ति को धन के महत्व को गंभीरता से समझना चाहिए.


धैर्य बनाए रखें
गीता के उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि समय खराब आने पर व्यक्ति को धैर्य का त्याग नहीं करना चाहिए. बुरे वक्त में भी व्यक्ति को परिश्रम करते रहना चाहिए.


परिश्रम का फल मीठा होता है
लक्ष्मी जी परिश्रम करने वालों को अपना आर्शीवाद अवश्य देती हैं. इसलिए व्यक्ति को परिश्रम पर पूरी आस्था रखनी चाहिए. हमारे शास्त्रों में कर्म को पूजा माना गया है. परिश्रम से अर्जित किया गया धन बुरे वक्त में सच्चे मित्र की भूमिका निभाता है.


बुरे वक्त में होती है व्यक्ति की पहचान
चाणक्य के अनुसार मित्र, पत्नी और सेवक की पहचान बुरे वक्त में ही होती है. बुरे वक्त में जो साथ दे और छाया की तरह साथ खड़ा रहे. ऐसे व्यक्ति को सदैव याद रखना चाहिए.


अनुशासन को अपनाएं
लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने जीवन में अनुशासन को महत्व देना होगा. जो लोग अपना कार्य समय पर करते हैं और आलस से दूर रहते हैं ऐसे लोगों को मां लक्ष्मी का आर्शीवाद मिलता है. इसके साथ ही जो विनम्रता को अपनाता है और दूसरों की पीड़ा पर दुखी होता है ऐसे लोगों को लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.


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