Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति के अनुसार धन की देवी लक्ष्मी का आर्शीवाद जिन लोगों को प्राप्त होता है उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. मनुष्य के लिए धन एक साधन है साध्य नहीं है. इसलिए जो इसका अंतर नहीं जानते हैं वे परेशान रहते हैं और उनका चित्त अशांत रहता है.


गीता के उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि व्यक्ति को अपने चित्त को शांत रखना चाहिए. चित्त जब शांत होता है तो व्यक्ति से स्वयं से साक्षात्कार करने के लिए स्वतंत्र होता है. जब व्यक्ति स्वयं को समझ लेता है तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं होता है.


चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति अपनी प्रतिभा और क्षमताओं का ज्ञान कर लेता है उसके पास धन और सम्मान की कोई कमी नहीं रहती है. जीवन में धन संपदा यदि प्राप्त करनी है तो व्यक्ति को गलत आदतों से दूर रहना चाहिए.


गलत संगत से दूर रहें
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को गलत संगत से दूर रहना चाहिए. व्यक्ति कितना ही प्रतिभाशाली क्यों न हो यदि उसकी संगत ठीक नहीं है तो वो एक न एक दिन मुसीबतों का सामना करता ही है. इसलिए गलत व्यक्ति से हमेशा दूर रहना चाहिए. गलत व्यक्तियों से घिरे व्यक्ति का लक्ष्मी जी बहुत जल्द साथ छोड़ देती हैं.


व्यसनों से दूर रहें
लक्ष्मी जी उन लोगों को अपना आर्शीवाद नहीं देती हैं जो व्यसनों से घिरा रहता है. नशा करता है और गलत कृत्यों में लिप्त रहता है. ऐसे व्यक्ति को लक्ष्मी जी पसंद नहीं करती हैं. इसलिए हर प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए.


किसी को धोखा न दें
लक्ष्मी जी धोखा देने वालों से दूर रहती हैं. जो व्यक्ति दूसरों को धोखा देता है, ऐसे व्यक्ति का लक्ष्मी जी जल्द ही साथ छोड़ देती हैं. लक्ष्मी जी के जाने पर ऐसे लोग संकटों से घिर जाते हैं. इसलिए विद्वानों ने भी धोखा देने की आदत को बहुत ही गलत बताया है.


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