Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति धन का संचय करता है और अपने जीवन को दोष से रहित रखता है उसे लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्रदान करती है. गीता के उपदेश में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जो व्यक्ति दोष और अवगुणों से मुक्त है उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.
विद्वानों की मानें तो दुखों का सबसे बड़ा कारण लालच है. व्यक्ति संतुष्ट नहीं होता है. एक वस्तु के पाने के बाद उसकी अभिलाषा और अधिक बढ़ जाती है. ये मानव स्वभाव है. लेकिन इस पर नियंत्रण भी रखना बहुत जरूरी है. तृष्णा को काबू रखने के लिए व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना चाहिए. लेकिन ये आसान कार्य नहीं है.
अध्यात्म की शक्ति से इस दोष से बचा जा सकता है. मनुष्य को स्वयं के बारे में ही नहीं सोचना चाहिए, मनुष्य को दूसरों के बारे में भी विचार करना चाहिए. धन से ही व्यक्ति समृद्ध नहीं होता है, विचारों से भी व्यक्ति को समृद्ध होना चाहिए. विचारों से समृद्ध व्यक्ति को लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है. लक्ष्मी जी उन लोगों को अपना आर्शीवाद अवश्य ही प्रदान करती हैं जो इन बातों का ध्यान रखते हैं.
लोभ पर काबू पाएं
लक्ष्मी जी लोभ करने वालों को आपना आर्शीवाद नहीं देती हैं. जो लोग लोभ में फंस जाते हैं वे स्वयं का तो नुकसान करते ही हैं, साथ ही साथ अपने आसपास रहने वालों लोगों को भी हानि पहुंचाते हैं. लोभ से अन्य अवगुण विकसित होते हैं जो मनुष्य को नुकसान पहुंचाते हैं.
सत्य को अपनाएं
लक्ष्मी जी सत्य बोलने बालों को अधिक पसंद करती हैं, जो व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त करता है उससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं. ऐसे लोगों का साथ लक्ष्मी जी नहीं छोड़ती हैं. इसलिए अपने स्वार्थ के लिए कभी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए.
धन की उपयोगिता को जानें
धन की उपयोगिता को जानना बहुत ही जरूरी है. धन बुरे वक्त का सच्चा मित्र है. जो लोग इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं वे समय आने पर संकटों का सामना करते हैं. लक्ष्मी जी उन लोगों को अपना आर्शीवाद प्रदान करती हैं जो धन का संचय और उचित उपयोग करते हैं.
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