सफलता की कुंजी: ज्ञान का दिखावा नहीं करना चाहिए, ज्ञान को बांटने से सरस्वती जी होती हैं प्रसन्न
Motivational Thoughts In Hindi: सफलता की कुंजी कहती है कि ज्ञान सभी प्रकार के अंधकार को दूर करता है. ज्ञान को बांटना चाहिए. ज्ञान बांटने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं, लेकिन इस कार्य को नहीं करना चाहिए.
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Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि ज्ञान के प्रति व्यक्ति को हमेशा गंभीर रहना चाहिए. ज्ञान प्राप्त करने के लिए जो सदैव तैयार रहता है उससे ज्ञान की देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करती है. जिन लोगों को सरस्वती जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है उनसे धन की देवी लक्ष्मी जी भी प्रसन्न रहती हैं. ऐसे लोगों को जीवन में मान सम्मान की कोई कमी नहीं रहती हैं. ऐसे लोग समाज को भी नई दिशा देने का कार्य करते हैं.
विदुर नीति भी कहती है कि ज्ञानी व्यक्ति को हर स्थान पर सम्मान मिलता है. ज्ञान सभी प्रकार के दुखों को भी दूर करने की क्षमता रखता है. विदुर महाभारत के सबसे प्रभावशाली पात्रों में से एक माने जाते हैं. विदुर भगवान श्रीकृष्ण के भी प्रिय थे. महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. गीता के उपदेशों में भी ज्ञान के महत्व के बारे में बताया गया है.
ज्ञान का प्रयोग दिखावे के लिए नहीं करना चाहिए विद्वानों का मत है कि जो लोग अपने ज्ञान का दिखावा करते हैं, दूसरों को अपने ज्ञान का अहसास अहंकार के रूप में कराने की कोशिश करते हैं ऐसे लोग कभी सफल नहीं होते हैं. क्योंकि ज्ञान दिखावे के लिए नहीं होता है. ज्ञान की प्राप्ति जिस व्यक्ति को हो जाती है उसके व्यक्तित्व में स्वत: ही एक तेज उत्पन्न हो जाता है जो समाने वालों को आकर्षित किए बिना नहीं रहता है. इसलिए जो ज्ञान का दिखावा करते हैं वे ज्ञान का प्रयोग अपने स्वार्थ के लिए करते हैं.
ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान का प्रदर्शन नहीं करता है प्रबुद्ध जनों का मानना है कि जो व्यक्ति ज्ञान से परिपूर्ण होता है, उसे दिखावे की जरूरत नहीं पड़ती है. जिन लोगों को आधा अधूर या अपूर्ण ज्ञान होता है, वो कुछ समय के लिए तो लोगों को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन समय आने पर इनका प्रभाव समाप्त हो जाता है. ज्ञान का अहंकार करने वालों को सम्मान प्राप्त नहीं होता है. ज्ञान पर अहंकार करने वालों से सरस्वती जी दूर चली जाती हैं. समय आने पर लक्ष्मी जी भी ऐसे लोगों से दूरी बना लेती हैं. क्योंकि अहंकार जहां होता हैं उस स्थान पर सरस्वती जी और लक्ष्मी जी अधिक समय तक नहीं रहती हैं. ज्ञान व्यक्ति कभी अपने ज्ञान का अभिमान नहीं करता है, बल्कि ज्ञान को बांटने का कार्य करता है. ज्ञान बांटने से बढ़ता है.
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