Safalta Ki Kunji : चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को अपनी बोली और भाषा पर विशेष ध्यान देना चाहिए. भाषा और बोली व्यक्ति का प्रथम प्रदर्शन है. यदि व्यक्ति इसमें प्रभाव नहीं जमा पता है तो कितनी ही योग्यता और ज्ञान क्यों न हो व्यक्ति की छवि कमजोर ही रहती है. भाषा और बोली व्यक्ति की छवि को बनाने और बिगाड़ने में विशेष भूमिका निभाते हैं. इसलिए इन पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.
गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को श्रेष्ठ गुणों के महत्व के बारे में बताते हुए कहते हैं कि व्यक्ति को सदैव अपने आचरण को लेकर सजग और सावधान रहना चाहिए. जो लोग ऐसा कर पाने में असर्मथ होते हैं, वे लोगों के प्रिय नहीं होते हैं. श्रेष्ठ गुणों से ही व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है. भाषा और बोली भी व्यक्ति की सफलता में प्रभावी भूमिका निभाते हैं. इसका उचित ध्यान रखना चाहिए.
विद्वानों की मानें तो भाषा और बोली पर ज्ञान का विशेष प्रभाव होता है. इसके साथ ही घर परिवार और समाज से मिले संस्कारों की भी विशेष अहमियत होती है. इनसब के प्रभाव से ही भाषा और बोली में व्यक्ति ख्याति प्राप्त करता है. भाषा और बोली को प्रभावशाली कैसे बनाया जा सकता है आइए जानते हैं-
बोलने से पहले सुनने की आदत डालनी चाहिए
विद्वानों की मानें तो अच्छा वक्ता बनना है तो पहले अच्छा श्रोता बनाना चाहिए. जो व्यक्ति दूसरों की अच्छी बातों को नहीं सुन सकता है तो फिर उसकी बातों को भी कोई नहीं सुनेगा. ज्ञान एक सतत प्रक्रिया है. इस पाने के लिए परिश्रम और कठोर अनुशासन को अपनाना पड़ता है. जो व्यक्ति ऐसा करने में सक्षम होते हैं उनकी भाषा प्रभावशाली होती है.
वाणी में मधुरता लाएं
जिस प्रकार से कोयल की वाणी सभी को आनंद प्रदान करती है, उसी प्रकार से मधुर वाणी बोलने सभी को अपना बनाने की शक्ति रखते हैं. ऐसे व्यक्ति कुछ भी बोलते हैं तो लोग कान लगाकर ध्यान पूर्वक सुनने की चेष्टा करते हैं. ज्ञान, संस्कार, शिक्षा और प्रेम से वाणी में मधुरता आती है.