Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति की असली परीक्षा संकट के समय ही होती है. संकट के समय ही संबंध, अपने-पराए, अच्छे और बुरे का ज्ञान होता है. विद्वानों की मानें तो सुख में तो सभी साथी हैं, लेकिन जो दुख यानि संकट के समय साथ निभाए वही असली मित्र और रिश्तेदार है.
जिस प्रकार से रात के बाद दिन आता है, उसी प्रकार से दुख के बाद व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं. विद्वानों की मानें तो संकट या विपत्ति का समय व्यक्ति को बहुत कुछ सीखा के जाता है. संकट काल भ्रम का नाश करता है, सच और झूठ क्या है इसके बारे में बताता है. जब तक बुरा समय नहीं आएगा तब तक व्यक्ति अच्छे समय की अहमियत को नहीं समझ सकता है. इसलिए दुख या संकट आने पर कतई विचलित नहीं होना चाहिए. बुरा समय आपके धैर्य, प्रतिभा, ज्ञान और नैतिकता की परीक्षा लेता है. इस परीक्षा में भी खरा उतरना चाहिए. जो व्यक्ति इन बाधाओं को पार कर लेता है, सफलताओं को स्पर्श करता है.
गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि विपत्ति के समय ही मनुष्य की असली परीक्षा होती है. इसलिए विपदा आने पर डरना नहीं चाहिए, निड़रता के साथ मुकाबला करना चाहिए. चाणक्य के अनुसार संकट के समय इन चीजों का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए.
धन की बचत करें
चाणक्य के अनुसार धन का कभी भी अनावश्यक व्यय नहीं करना चाहिए. धन की सदैव रक्षा करनी चाहिए और उसका संचय करना चाहिए. धन मुश्किल वक्त में सबसे अधिक काम आता है. धन ही सच्चे मित्र और रिश्तेदार की भूमिका निभाता है. इसलिए धन के महत्व को जानना चाहिए.
संयम का कभी त्याग न करें
विद्वानों की मानें तो बुरे समय में व्यक्ति को कभी अपना धैर्य नहीं त्यागना चाहिए. धैर्य ही उसे इस बुरे वक्त से निकालने में मदद करता है. इसलिए धैर्यवान बनने की कोशिश करनी चाहिए.
शुभ चिंतकों से संबंध मधुर रखें
बुरे वक्त में यदि आपके पास शुभ चिंतक हैं तो बड़ी से बड़ी बाधा भी पार कर सकते हैं. शुभ चिंतक जीवन में उपहार की तरह होते हैं, व्यक्ति को शुभ चिंतकों की पहचान होनी चाहिए, इनका सदैव आदर और सम्मान करना चाहिए.