Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जीवन में मिलने वाली सफलता की नींव विद्यार्थी जीवन काल में रखी जाती है. भविष्य को जिस दिशा में भी ले जाना चाहते हैं उसकी पटकथा विद्यार्थी जीवन में ही तैयार हो जाती है. इसीलिए शास्त्रों में विद्यार्थी जीवन को अत्यंत महत्वपूर्ण माना है. विद्वानों की मानें तो युवा बदलाव के प्रबल समर्थक होते हैं. युवा विद्यार्थी जीवन काल में जो कुछ भी सीखते हैं, उसका प्रतिबिंब व्यक्ति की सफलता में झलकता है. इसीलिए विद्यार्थी जीवन में नियम और अनुशासन का विशेष महत्व बताया गया है.


गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को जीवन को जीने का उपयुक्त मार्ग भी दिखाते हैं. भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य का जीवन अति महत्वपूर्ण है. जीवन का लक्ष्य होना चाहिए. जीवन के दर्शन को जिसने समझ लिया उसके लिए कोई भी लक्ष्य और मार्ग कठिन नहीं है. विद्यार्थियों को भी मनुष्य जीवन की उपयोगिता के बारे में जानना और समझना चाहिए. विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करते समय कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए.


लज्जा न करें
विद्वानों के अनुसार ज्ञान प्राप्त करना अत्यंत कठिन कार्य है. शिक्षा ग्रहण किसी साधना से कम नहीं है. जिस प्रकार से साधना को सिद्ध करने के लिए कठोर तप करना होता है, उसी प्रकार से शिक्षा ग्रहण करने के लिए कठोर परिश्रम करना चाहिए. शिक्षा और ज्ञान को प्राप्त करने में कभी लज्जा या शर्म नहीं करनी चाहिए. ज्ञान को प्राप्त करने के लिए कठोर से भी कठोर परिश्रम करना पड़े तो करना चाहिए. ज्ञान प्राप्त तभी होता है जब व्यक्ति में सच्ची लगन हो.


समय की कीमत पहचनो
समय की कीमत जो नहीं समझते हैं, समय भी उनकी कीमत नहीं समझता है. समय कभी लौटकर नहीं आता है. जो पल गुजर गया, सो गुजर गया. अब ये दोबारा वापिस नहीं आएगा. इसी प्रकार से विद्यार्थी जीवन बार-बार नहीं आता है. मां सरस्वती का आशीर्वाद उसी को प्राप्त होता है जो पूरे मन और त्याग से शिक्षा को ग्रहण करता है. 


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