Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि अवगुणों से युक्ति जीवन में कभी श्रेष्ठ कार्य नहीं कर सकता है. श्रेष्ठ कार्य करने के लिए व्यक्ति को अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए. अच्छे गुणों को अपनाने से सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं सकारात्मक विचारों से ही व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है. गीता के उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को अच्छे गुणों के बारे में बताते हैं. अच्छे गुणों से युक्त व्यक्ति सभी का प्रिय होता है. ऐसे लोग समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं. अच्छे गुण संस्कार और ज्ञान से प्राप्त होते हैं.


अवगुण व्यक्ति को सोच को प्रभावित करते हैं. अवगुण व्यक्ति को स्वार्थी और लोभी बनाते हैं. लोभ करने वाले और स्वार्थी व्यक्ति का कोई अनुशरण नहीं करता है. इन्हे समाज में यश भी प्राप्त नहीं होता है. अवगुण के बारे में शास्त्रों में विस्तार से बताया है.


क्रोध में व्यक्ति स्वयं को हानि पहुंचाता है
गीता में क्रोध को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है. क्रोध से व्यक्ति को दूर रहना चाहिए. क्रोध में व्यक्ति सही और गलत का अंतर नहीं कर पाता है और आवेश में आकर कभी कभी ऐसे निर्णय ले लेता है जो स्वयं को परेशानी में डाल देता है. क्रोध के कारण स्वयं को तो परेशानी उठानी पड़ती है साथी दूसरों को भी कभी कभी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसलिए क्रोध करने वाले से हर कोई दूरी बनाकर चलता है.


असत्य का त्याग करें
विद्वानों का मानना है कि व्यक्ति को हमेशा सत्य बोलना चाहिए. सत्य बोलने वाले व्यक्ति राष्ट्र को दिशा प्रदान करते हैं. ऐसे लोग समाज में भी सम्मान पाते हैं. वहीं जो लोग असत्य बोलते हैं, ऐसे लोगों को पर विश्वास नहीं किया जाता है. सत्य बोलने वाले व्यक्ति का हर कोई आदर करता है.


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