Safalta Ki Kunji: आचार्य चाणक्य को भारत का श्रेष्ठ विद्वाना माना जाता है. चाणक्य विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान तक्षशिला विद्यालय के आचार्य थे. वे इस विश्व विद्यालय के विद्यार्थी भी रहे थे. चाणक्य को कई विषयों की गहरी जानकारी और समझ थी. उन्होंने संतान की शिक्षा-दीक्षा किस प्रकार की होनी चाहिए इस पर भी अपनी चाणक्य नीति में प्रकार डाला है. चाणक्य के अनुसार बच्चों को गलत आदतें बहुत जल्दी प्रभावित करती है. इस स्थिति में माता-पिता और एक शिक्षक की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है. 


विद्वानों की मानें तो गलत आदतें, समय रहते यदि दूर न की जाएं तो आगे चलकर ये आचरण में भी दिखाई देनी लगती है, जिस कारण व्यक्ति को कभी-कभी इसके गंभीर परिणाम भी भोगने पड़ते हैं. इसलिए बचपन में ही इन आदतों को रोकने का प्रयास करना चाहिए. श्रीमद्भगवत गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से श्रेष्ठ गुणों को अपनाने पर जोर देते हैं. भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि श्रेष्ठ गुणों को अपनाकर ही व्यक्ति महान और सभी स्नेह प्राप्त कर सकता है. इसलिए इन बातों पर ध्यान देना चाहिए.


बच्चों को महापुरुषों के बारें में बताएं
विद्वानों की मानें तो बच्चों में किसी भी विषय को सीखने की तीव्र इच्छा होती है. बच्चों को आरंभ से ही श्रेष्ठ गुणों को अपनाने पर बल देना चाहिए. बच्चों को प्रेरित करने के लिए महापुरुषों का उदाहरण और उनके बारे में बताना चाहिए. माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को अच्छी आदतों के बारे में बताएं.


सही और गलत का भेद समझाएं
विद्वानों के अनुसार बच्चों को आरंभ से ही गलत और सही भेद समझाने का प्रयास करना चाहिए. बच्चा यदि गलत कार्य करता है तो उसे डांटे नहीं बल्कि सर्वप्रथम उसे सही गलत का अंतर समझाने का प्रयास करना चाहिए और उसके भविष्य में मिलने वाले गलत परिणाम के बारे में भी अवगत कराना चाहिए.


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