चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को यदि जीवन में सफल होना है तो उसे सबसे पहले आचरण पर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि ज्ञान के साथ यदि श्रेष्ठ आचरण नहीं है तो ज्ञान का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है. इसीलिए कभी कभी कम शिक्षित व्यक्ति भी जीवन में सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं. क्योंकि ऐसे लोगों का आचरण दूसरों से श्रेष्ठ होता है.


गीता का उपदेश में भी भी भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को आचरण का पाठ पढ़ाया है. महाभारत में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जब शक्तिशाली व्यक्ति को भी अपने गलत आचरण के कारण लज्जित होना पड़ता है. व्यक्ति की प्रतिभा और गुणों की पहचान बड़ी बड़ी बैठकों में ही होती है. व्यक्ति कितना प्रतिभाशाली और श्रेष्ठ का इसका अंदाजा तब लगता है जब बैठक या महफिल में विशेषज्ञ, विद्वान और वरिष्ठ जन मौजूद हों. इन लोगों से वार्तालाप करते समय विशेष ध्यान देना चाहिए-


पूरी बात को सुनें
महत्वपूर्ण बैठक में जब मौजूद रहें तो प्रत्येक की बात को गंभीरता और ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए जो ऐसा नहीं करते हैं वे प्रभाव छोड़ने में नाकाम साबित होते हैं और महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित रह जाते हैं.


प्रश्न करने पर विनम्रता से उत्तर दें
बैठक या महफिर में जब पूछा जाए या बारी आए तभी अपने विचारों को प्रकट करना चाहिए. जब विचार प्रकट करने का अवसर मिले तो पूरी तैयारी के साथ विषय पर बात रखनी चाहिए.


अहंकार से दूर रहें
व्यक्ति को अहंकार से दूर रहना चाहिए. गीता के उपदेश में भी अच्छे व्यक्ति को अहंकार से दूर रहने के लिए बताया गया है. अहंकार प्रतिभा को नष्ट करता है. ऐसे लोगों मिलने वाले सम्मान को खो देते हैं.


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