Chanakya Niti: धन और घर की ऐसे करें रक्षा, परिवार के साथ भविष्य भी होगा सुरक्षित, जानें चाणक्य नीति
Chanakya Niti: मनुष्य जीवन पद, परिवार, विद्या और धर्म के इर्द गिर्द घूमता है. चाणक्य ने एक श्लोक के जरिए बताया है कि अगर जीवन को आर्थिक, मानसिक तौर पर सुरक्षित रखना है तो किन चीजों का पालन करना चाहिए.
Chanakya Niti: मनुष्य जीवन पद, परिवार, विद्या और धर्म के इर्द गिर्द घूमता है. इन्हें सुरक्षित रखने के लिए व्यक्ति जी तोड़ मेहनत करता है लेकिन कई बार अथाह प्रयासों के बाद छोटी सी गलती हमारे परिवार और भविष्य को अंधकार में डाल देती है. चाणक्य नीति में इन चारों चीजों को संयोए रखने का अचूक तरीका बताया गया है. चाणक्य ने एक श्लोक के जरिए बताया है कि अगर जीवन को आर्थिक, मानसिक तौर पर सुरक्षित रखना है तो किन चीजों का पालन करना चाहिए.
वित्तेन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृदुना रक्ष्यते भूपः सत्स्त्रिया रक्ष्यते गृहम्॥
अर्थ - आचार्य चाणक्य के अनुसार धर्म की रक्षा धर्म की रक्षा धन से की जाती है, योग से विद्या को सुरक्षित और अपनाया जा सकता है, कोमलता से राजा, शासन-प्रशासन बेहतर रहता है और घर-परिवार की रक्षा स्त्री सही ढंग से करती है.
विद्या की सुरक्षा ही सफलता का राज है
चाणक्य श्लोक में कहते हैं कि विद्या तभी आपको फलेगी जब इसका निरंतर प्रयास किया जाए. भविष्य को सुरक्षित करना है तो विद्या का योग यानी प्रयास बेहद जरुरी है. विद्या न सिर्फ हमें अंधकार से दूर ले जाती है बल्कि ये सुनहरे भविष्य का अहम पड़ाव है जिसे पार करने के बाद ही धन-सुख मिल सकता है. जो लोग विद्या का निरंतर प्रयास करते हैं वह कभी दुख की घड़ी में घबराते नहीं क्योंकि ये ऐसा धन है जो आपको हर मुसीबत से बाहर निकाल सकता है. इसे सुरक्षित रखना बेहद जरुरी है.
आचार्य चाणक्य ने बताया है कि सत्ता पर बैठेना है या फिर लीडरशिप को कायम रखना है तो अपने से नीचे लोगों के साथ विनम्रता से व्यवहार करें. अपने रुतबे का अहंकार न करें क्योंकि शासन-प्रशासन और राजा को अपनी सत्ता पर काबिज रहने के लिए कोमलता और मधुरता व्यवहार में होना चाहिए.
धन और धर्म की रक्षा से संवरेगा भविष्य
धन से धर्म की रक्षा होती है. चाणक्य कहते हैं धन के बिना धर्म का कोई कारय नहीं हो सकता है. धर्म ही इस संसार में सब कुछ है, सार है, इसलिए धर्म की रक्षा करनी चाहिए. वहीं धन की रक्षा के लिए अपनी कमाई को खर्च करना जरुरी है. खर्च से अर्थ है दान-धर्म के कामों में खर्चा, इनवेस्टमेंट ताकि भविष्य संवर सके. जिस तरह धर्म के काम में धन का उपयोग करने पर कभी न खत्म होने वाला सुख मिलता है उसी प्रकार मुश्किल समय के लिए धन की बचत इनवेस्टमेंट के तौर पर की जाती है ताकि बुरे वक्त में किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े.
घर को सुरक्षित रखने के लिए ये है जरुरी
चाणक्य कहते हैं कि एक स्त्री न सिर्फ घर बल्कि पूरे परिवार की रीढ़ होती है. एक अच्छी स्त्री अपने घर को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करती है. एक संस्कारवान और गुणों से परिपूर्ण स्त्री के घर में होने से परिवार न सिर्फ फलता फूलता है बल्कि पीढ़ियों को उद्धार हो जाता है.
Chanakya Niti: मनुष्य जीवन का सबसे कड़वा सच है ये, अपनाने वालों को मिलती है सफलता, जानें चाणक्य नीति
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.