चाणक्य की इन बातों पर अमल कर लिया तो जीवन हो जाएगा सफल
Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य ने दुर्जन और सज्जन मनुष्य के गुणों के बारे में बड़े ही प्रभावशाली ढंग से बताया है. चाणक्य के अनुसार दुर्जन मनुष्य से सर्प अच्छा है और विपत्ति आने पर जो संयम न छोड़े वहीं सज्जन है.
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जिन्हें इतिहास में कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है. चाणक्य ने समाज का बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था. मनाव को प्रभावित करने वाले समस्त कारकों के बारे में उन्होंने अपनी चाणक्य नीति में विस्तार पूर्वक वर्णन किया है. माना जाता है कि जो मनुष्य चाणक्य की नीतियों पर चलता है वह जीवन में आने वाली कठिनाईयों को भी आसानी से पार कर जाता है.आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति-
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जन: सर्पो दंशति कालेन दुर्जनस्तु पदे पदे।
आचार्य चाणक्य दुर्जन और सांप की तुलना करते हुए कहते हैं कि सांप दुर्जन मनुष्य से अच्छा है. क्योंकि सांप तो काल यानि मृत्यु आने पर ही डसता है लेकिन दुर्जन मनुष्य तो पग पग पर हानि पहुंचाता है.
चाणक्य के अुनसार मित्रों के चयन में बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए. मित्र ऐसा होना चाहिए जो मददगार हो. बुरे समय पर मदद के लिए सदैव तत्पर रहे है. दुर्जन से मित्रता होने पर वह जीवन में एक बार नहीं बल्कि उसे जब भी मौका मिलेगा वह नुकसान ही करेगा. ऐसे लोग हर समय हानि पहुंचाने के लिए तैयार रहते हैं. इसलिए दुर्जन मनुष्य से जितनी जल्दी हो किनारा कर लेना चाहिए.
प्रलये भिन्नमार्यादा भविंत किल सागर: सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलेयशपि न साधव:।
चाणक्य का कहना है कि प्रलय के बाद समुद्र अपनी मर्यादा त्याग देता है. किनारों को तोड़ देता है या उन्हें छोड़ देता है. लेकिन सज्जन व्यक्ति प्रलय यानि भंयकर विपत्ति आने पर भी मर्यादा नहीं छोड़ता है.
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने सज्जन व्यक्ति की पहचान बताते हुए कहते हैं कि जो व्यक्ति थोड़ी सी परेशानी आने पर धैर्य खो देते हैं वह सज्जन नहीं होते हैं. सज्जन वही है जो किसी भी परिस्थिति में गंभीरता को न त्यागे. चाणक्य के अनुसार सज्जन मनुष्य की पहचान बुरे वक्त में ही पता चलती है. जो व्यक्ति विपत्ति आने पर भी संयम बना कर रखत हैं वही सफलता के सोपान को स्पर्श करते हैं.
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