Chanakya Niti: जीवन में खुश रहना सीखना है तो इन बातों को कभी न भूलें
Chanakya Niti Hindi: जीवन अपनी गति से बढ़ता रहता है. इसे चाहे दुख से काटें या फिर प्रसन्नता से. जीवन की गति निरंतर चलती रहती है. बेहतर यही है कि इसे हंस खेलकर व्यतीत किया जाए.
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Chanakya Niti In Hindi: प्रसन्नता सफलता प्रथम शर्त है. सफल वही व्यक्ति है जो सबसे अधिक प्रसन्न है. प्रसन्नता धन और संसाधनों से नहीं आती है. प्रसन्नता या खुशी का भाव व्यक्ति के हृदय और मस्तिष्क में सदैव बना रहता है. बस इसे महसूस करना होता है. आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के लिए प्रसन्नता को बहुत ही जरूरी बताया है.
प्रसन्नचित्त व्यक्ति ही बड़े कार्य कर सकता है. आचार्य चाणक्य का मानना है कि जिस व्यक्ति के मुख पर सदैव प्रसन्नता के भाव रहते हैं, वह व्यक्ति दूसरे व्यक्तिओं की तुलना में अधिक सफल होता है. ऐसे व्यक्ति जीवन में निराश नहीं होते हैं विपरित परिस्थितियों में भी ऐसे व्यक्ति धैर्य नहीं खोते हैं.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को प्रसन्न रहने के लिए अवसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. यानि खास अवसर प्राप्त होने पर ही नहीं प्रसन्न होना चाहिए. जीवन में हर छोटी बड़ी खुशियों को उत्सव की तरह से लेना चाहिए. जीवन इससे खुशहाल बनता है. जो प्रसन्न रहने के लिए मौकों की तलाश में रहते हैं उनकी प्रसन्नता या खुशी स्थाई नहीं होती है वह क्षणिक होती है. यह प्रसन्नता भी आत्मीय नहीं होती है.
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प्रसन्नता वही होती है जो व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करे, उसके पास के लोग भी प्रसन्नता को महसूस करें. जब आत्मा प्रसन्न होती है तो व्यक्ति किसी भी स्थिति में हो वह एक न एक दिन अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर ही लेता है. लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रसन्नता औषधि के समान है. इसलिए प्रसन्न रहने के लिए इन बातों को नहीं भूलना चाहिए.
छोटी- छोटी चीजों में प्रसन्नता को तलाशें प्रसन्न रहने के लिए बड़े अवसरों के भरोसे नहीं बैठना चाहिए. जीवन में जब भी प्रसन्न होने का अवसर मिले उसका भरपूर आनंद उठाना चाहिए.
मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है प्रसन्नता से मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है उसके कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है. मस्तिष्क अधिक क्रियाशील रहेगा तो व्यक्ति को किसी भी कार्य करने में तनाव नहीं होगा.
बड़ों का अर्शीवाद और छोटों का प्यार लेते रहें जीवन में बड़ों का आर्शीवाद और छोटों का प्यार ये दोनों ऐसी चीजें है जिनके होने से व्यक्ति कभी निराश नहीं होता है उसके पास सदैव आत्मीय बल बना रहता है. ऐसे व्यक्तिओं को आत्मविश्वास कभी नहीं होता है. यह सब प्रसन्नता के भाव से ही उत्पन्न होते हैं.
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