Chanakya Niti Hindi: चाणक्य ने मनुष्य को प्रभावित करने वाले हर विषय का बहुत गहराई से अध्ययन किया था. चाणक्य के अनुसार सफल व्यक्ति के शत्रु भी अनेक होते हैं. इसलिए चाणक्य ने शत्रुओं को लेकर व्यक्ति को सदैव गंभीर रहने के लिए कहा है. जो व्यक्ति शत्रुओं के मामले में लापरवाह हो जाता है उसे हानि उठानी पड़ सकती है.



चाणक्य के अनुसार शत्रु दो प्रकार के होते है. एक शत्रु वे जो दिखाई देते हैं और दूसरे वे जो दिखाई नहीं देते हैं. दोनों ही प्रकार के शत्रुओं को लेकर व्यक्ति को सर्तक और सावधान रहना चाहिए. क्योंकि शत्रु तभी आप पर हमला करता है जब आप लापरवाह या फिर कमजोर हो जाएं.


शत्रु को कमजोर न समझें
चाणक्य के अनुसार शत्रु को कभी कमजोर न समझें. शत्रु को सैदव शत्रु समझना चाहिए उसे छोटा और कमजोर समझने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए. शत्रु की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए. शत्रु क्या कर रहा है इस बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए. प्रतिक्रिया भले ही न दें लेकिन शत्रु की गतिविधि को अनदेखा न करें.


शत्रु कभी भी हमला कर सकता
चाणक्य के अनुसार शत्रु कभी भी हमला कर सकता है. इसलिए शत्रु को लेकर सदैव सावधान रहना चाहिए. शत्रु से निपटने के लिए स्वयं को सदैव तैयार रखना चाहिए और अपनी तैयारी पूर्ण होनी चाहिए. जब तैयारी पूर्ण होगी तभी शत्रु से मुकाबला कर सकते हैं.


अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम्।
आत्मतुल्यबलं शत्रु: विनयेन बलेन वा।।


चाणक्य की चाणक्य नीति शत्रु को लेकर कहती है कि शत्रु यदि आप से अधिक शक्तिशाली है तो उसके अनुकूल आचरण कर उसे परास्त किया जा सकता है. यदि दुश्मन दुष्ट प्रवृत्ति का है तो उसके विपरीत चलकर उसे हराया जा सकता है. चाणक्य की सबसे विशेष बात यदि शत्रु ताकत में बराबर है तो विनय या बलपूर्वक हराया जा सकता है.


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