Chanakya Niti Hindi: चाणक्य एक योग्य शिक्षक थे. चाणक्य विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय के छात्र भी थे और बाद में वहीं पर पाठन कार्य भी किया. इसलिए चाणक्य को बच्चों के विकास के दौरान होने वाले परिवर्तनों की अच्छी समझ और जानकारी थी. चाणक्य के अनुसार जब बच्चे छोटे होते हैं तो वे अपने आसपास होने वाली चीजों से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं.


चाणक्य के मानें तो बच्चे अधिक जिज्ञासू होते हैं वे जब धीरे धीरे बड़े हो रहे होते हैं तो वे अच्छी बुरी दोनों तरह की चीजों को ग्रहण करने लगते हैं. यहीं से अभिभावकों की विशेष जिम्मेदारी आरंभ हो जाती है. इस दौरान अभिभावकों को ये सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि कहीं उनके बच्चे में कोई गलत आदत प्रवेश तो नहीं कर रही है.


चाणक्य के अनुसार बच्चों में गलत आदतें बहुत जल्दी आती हैं. इसलिए इन गलत आदतों को समय रहते ही दूर कर देना चाहिए. यदि ऐसा न किया जाए तो इन गलत आदतों का बच्चों के भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता है. इसलिए चाणक्य की इन बातों को ध्यान में रखें.


बच्चों में लालच न पनपने दें
चाणक्य के अनुसार बच्चों में लालच की आदत को बिल्कूल भी न पनपने दें. लालच की आदत आ जाने से बच्चे कभी गलत दिशा की तरफ भी आकर्षित हो जाते हैं. इसलिए बच्चों में यदि लालच की आदत दिखाई देने लगे तो सावधान हो जाना चाहिए और बहुत ही सजगता से इस आदत को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. लालच के कारण ही बच्चे जिद्दी हो जाते हैं जब उनकी जिद पूरी नहीं होती है तो वे गलत कार्य या शरारत करने लगते हैं जिससे कभी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.


झूठ बोलने की आदत न पड़ने दें
चाणक्य के अनुसार बच्चों में झूठ बोलने की आदत बहुत तेजी से प्रवेश करती है. झूठ बोलने की आदत का जैसे ही पता चले अभिभावकों को गंभीर हो जाना चाहिए और बच्चे को झूठ बोलने से होने वाले नुकसानों के बारे में प्यार से बताना चाहिए. झूठ बोलने की आदत आ जाने से बच्चे अभिभावकों से जरूरी बातों को भी छिपाने लगते हैं जिस कारण बच्चे और अभिभावक दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


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