Chanakya Niti in Hindi: चाणक्य नीति कहती है कि संकट के समय स्वार्थी और लालची व्यक्ति सबसे पहले साथ छोड़ जाते हैं. संकट के समय जो साथ न दे, वो कभी आपका शुभचिंतक और हितैषी नहीं हो सकता है. जीवन में सच्चा मित्र, गुणवान पत्नी और विश्वास पात्र सेवक, किसी उपहार से कम नहीं होते हैं. इनका सदैव ही सम्मान करना चाहिए. कभी-कभी इनकी कठोर बातों को भी सहृदय से स्वीकार करना चाहिए.


चाणक्य नीति के अनुसार जो लोग बुरे वक्त में साथ छोड़ जाते हैं, इनसे जीवन भर सतर्क रहना चाहिए. ऐसे लोग स्नेह और प्रेम के काबिल नहीं होते हैं. जिस प्रकार से बिच्छू का स्वभाव डंक मारना होता है, उसी प्रकार से ऐसे व्यक्ति कभी भी अपने स्वभाव का त्याग नहीं कर पाते हैं. इसलिए ऐसे लोगों से सदा ही सावधान रहना चाहिए क्योंकि व्यक्ति एक बार शत्रु को दिए गए घाव को तो सहन कर सकता है, लेकिन अपनों के द्वारा दिए गए घाव कभी-कभी असहनीय हो जाते हैं. इसलिए इन स्थितियों से बचना चाहिए और चाणक्य की इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए.


जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनागमे।
मित्रं चापत्तिकाले तु भार्यां च विभवक्षये।।


चाणक्य की चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ ये है कि कार्य कराने पर नौकर की पहचान होती है, दुख की बेला में रिश्तेदारों की पहचान होती है, कष्ट और विपत्ति आने पर मित्र और धन का नाश होने या फिर धन के नष्ट होने पर ही पत्नी के गुणों की पहचान होती है.


चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को संबंधों के मामले में बहुत ही सजग और सतर्क रहना चाहिए. आसानी से किसी का भी विश्वास नहीं करना चाहिए. संबंध बनाने से पहले उसके गुणों और चरित्र के बारे में जरूर जानने का प्रयास करना चाहिए. ताकि समय आने पर दिक्कत और परेशानियों का सामना न करना पड़े.


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