Chanakya Niti Hindi: चाणक्य की चाणक्य नीति आज भी लोकप्रिय है. चाणक्य नीति का आज भी बड़ी संख्या में लोग पढ़ते हैं और चाणक्य की शिक्षाओं को जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं.


चाणक्य नीति व्यक्ति को सही मार्ग दिखाती है. सुख और दुख में व्यक्ति का आचरण और बर्ताव कैसा होना चाहिए इस बारे में बताी है. चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में व्यक्ति को संकट से उभरने के लिए कुछ विशेष बातों बताई हैं. आइए जानते हैं-


चाणक्य के अनुसार संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे संकट और परेशानियों का सामना न करना पड़ा हो. जीवन है तो सुख और दुख लगे ही रहते हैं. जिस प्रकार से रात के बाद दिन होता है उसी प्रकार से व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख का आना जाना लगा रहता है. चाणक्य मानते हैं कि व्यक्ति यदि संकटों को लेकर सर्तक रहता है और हर परिस्थिति के लिए पहले से ही तैयार रहता है तो ऐसे लोगों को संकट आने पर अधिक परेशानी नहीं होती है.


धैर्य न छोड़ें
चाणक्य के अनुसार संकट के समय व्यक्ति को कभी भी धैर्य नहीं खोना चाहिए. धैर्य खोने से संकट व्यक्ति को दबा लेता है. संकट को कभी भी हावी नहीं होने देना चाहिए. संकट आने पर व्यक्ति को हर कार्य धैर्य से करने चाहिए और संकट के टलने का इंतजार करना चाहिए. संकट के समय जो व्यक्ति धैर्य खो देते हैं वे हानि उठाते हैं.


संकट के समय होती है अपनों की पहचान
चाणक्य के अनुसार संकट के समय ही भाई, पत्नी, मित्र और सेवक की पहचान होती है. चाणक्य मानते हैं जो लोग आपसे सच्चा प्रेम और विश्वास रखते हैं वे संकट के समय में भी साथ खड़े होते हैं. संकट के समय जो साथ छोड़ दें और जो साथ निभाए इन दोनों लोगों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए.


धन की बचत करें
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को धन का व्यय बहुत सोच समझ कर ही करना चाहिए. धन संकट के समय सच्चे मित्र की भूमिका निभाता है. इसलिए धन का संचय करना चाहिए. जो लोग धन बचाने की बजाए खर्च करने में रूचि लेते हैं वे संकट के समय परेशान होते हैं.


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