Chanakya Niti Hindi: चाणक्य एक विद्वान होने के साथ-साथ एक योग्य समाज सुधारक भी थे. चाणक्य ने हर उस विषय का बड़ी ही गहराई से अध्ययन किया था जो समाज और मनुष्य को प्रभावित करते हैं. चाणक्य स्वयं के एक शिक्षक थे और प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से उनका संबंध थे. चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय के छात्र भी थे और बाद में चाणक्य इसी विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य करने लगे.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति की सफलता में सबसे बड़ी बाधा उसके भीतर छिपे अवगुण हैं. चाणक्य का मानना था कि यदि व्यक्ति इन अवगुणों का त्याग कर दे तो उसे जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है. चाणक्य के अनुसार अहंकार ऐसा ही एक अवगुण है जिसे व्यक्ति समय रहते यदि दूर कर दे तो उसका जीवन धन्य हो जाता है, व्यक्ति यदि अहंकार को दूर करने में अक्षम रहता है तो उस व्यक्ति का जीवन अंधकार की तरफ बढ़ने लगता है. अहंकार पर कैसे काबू पाया जाए, इसके लिए चाणक्य की इन बातों पर जरुर ध्यान देना चाहिए.
अध्यात्म के महत्व को समझना चाहिए
चाणक्य के अनुसार अहंकार को अध्यात्म के मर्म को समझने से ही नष्ट किया जा सकता है. अहंकार करने वाला व्यक्ति को स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ महसूस करने लगता है. अहंकार में डूबा व्यक्ति दूसरों के हितों की अनदेखी करने लगता है. वह समझता है कि जो वह कर रहा है वही सत्य और उचित है. लेकिन अहंकार से पूर्ण कोई भी कार्य कभी साध्य नहीं होता है. क्योंकि जबतक व्यक्ति के द्वारा किए जाने वाले कार्य में जन कल्याण की भावना नहीं होगी तब तक कोई भी कार्य सफल नहीं माना जा सकता है. जनकल्याण की भावना अहंकार से दूर रहकर ही आ सकती है.
अहंकार करने वाला व्यक्ति कभी श्रेष्ठ नहीं कहलाता
व्यक्ति कितनी ही प्रतिभाशाली क्यों न हो यदि वह अहंकार दिखाता है तो उसके द्वारा किए गए बड़े कार्य भी अपनी विशिष्टता को त्याग देते हैं. चाणक्य के अनुसार अहंकार व्यक्ति में कई अन्य अवगुणों को विकसित कर देता है. जिसके चलते व्यक्ति सही और गलत का भेद नहीं कर पाता है. जब व्यक्ति सही और गलत का भेद करने में अक्षम हो जाता है, तो उसके सफल होने की संभावना क्षीण होने लगती हैं. चाणक्य के अनुसार ऐसे व्यक्ति सम्मान से भी वंचित रहते हैं.
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