Best Chanakya Niti: बहुत नहीं गुणवान व्यक्ति एक ही काफी होता है. चाणक्य ने गुणवान व्यक्ति के बारे में बहुत ही प्रभावशाली ढंग से बताया है. गुणवान व्यक्ति की खासियत क्या होती है और वो किस तरह से दूसरों की तुलना में उपयोगी होता है इसके बारे में चाणक्य नीति विस्तार से प्रकार डालती है. आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य की नीति क्या कहती है.
एकेनापि सुवर्ण पुष्पितेन सुगंधिना।
वसितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं यथा।
आचार्य चाणक्य के अनुसार गुणवान व्यक्ति अपने एक गुण से ही सभी के बीच अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहता है. वह एक गुण की उसकी संपूर्ण पहचान बन जाता है. जैसे पूरे जंगल में सुंदर फूलों वाला एक पौधा ही अपनी सुगंध से पूरे जंगल को महका देता है. उसी प्रकार एक सुपुत्र ही पूरे कुल का नाम रोशन करने के लिए काफी होता है.
सुपुत्र अपनी प्रतिभा से पूरे कुल का नाम शिखर पर पहुंचा देता है. कुल का नाम सुपुत्रों के योगदान से ही ऊंचा उठाता है. आज के संर्दभ में भी यही बात लागू होती है परिवार को बुलंदी पर ले जाने के लिए एक सुपुत्र ही काफी है.
एकेन शुष्कवृक्षेण दह्ममानेन वहिृना।
दह्मते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा।
इस अर्थ ये है कि जिस तरह से जंगल में सूखे वृक्ष में आग लगने से पूरा जंगल जलकर राख हो जाता है उसी प्रकार कुपुत्र पैदा होने पर पूरा कुल नष्ट हो जाता है. कुपुत्र से कुल की बदनामी होती है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं इसीलिए पुत्रों को योग्य बनाने के लिए माता पिता को उसी प्रकार से मेहनत करनी चाहिए जिस प्रकार से एक किसान खेतों में फसल पैदा करता है. अच्छी फसल के लिए किसान हाड़तोड़ मेहनत करता है. सर्दी,गर्मी और बरसात से फसल को बचाता है. जानवरों से फसल को बचाने के लिए दिन रात पहरा देता है. इसी प्रकार प्रत्येक माता को अपने बच्चों का लालन पालन करना चाहिए तभी वे सुपुत्र बनेंगे और कुल का नाम रोशन करेंगे.
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