Chanakya Niti: मनुष्य चाहे तो वह एक निर्जिव चीज से भी बहुत कुछ सीख सकता है, जो जीवन में उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. आचार्य चाणक्य ने सफलता और सुखी जिंदगी के लिए अलग-अलग जानवरों से भी कई चीजें सीखने की बात कही है, चाणक्य के अनुसार जानवर भले ही बेजुबान होते हैं लेकिन ये अपनी ताकत और प्रतिभा का परिचय देने से कभी पीछे नहीं हटते.
हर जीव-जंतु की अपनी क्वालिटी होती है, जो मनुष्य को बहुत कुछ सिखाने की क्षमता रखते हैं. ऐसा ही एक जानवर है गधा. चाणक्य नीति कहती है कि गधे की ये 3 बाते जीवन में अपना ली तो असफलता छू भी नहीं पाएगी.
सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति।
सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात्॥
परिस्थिति में खुद को ढालना
भीषण गर्मी और हाड़ कंपा देने वाली ठंड में गधा डटा रहता है, हर स्थिति में काम को पूरा कर लेता है. उसी प्रकार मनुष्य को हर परिस्थिति का डटकर सामना करना चाहिए. सफलता की राह में कई तरह के रोड़े आएंगे लेकिन इनसे घबराएं नहीं. चाणक्य कहते हैं कि समस्याएं हमारे अंदर छिपी क्षमताओं को निखारने का काम करती हैं इसलिए मुश्किल घड़ी से डरे नहीं.
आलस्य का त्याग, असफलता को रखेगा दूर
चाणक्य कहते हैं कि आलस्य, असफलता को करीब लाता है. अगर आप इसका त्याग कर देंगे तो अपनी मंजिल तक पहुंचने में कामयाब होंगे जैसे एक गधा कितना ही थका क्यों न हो लेकिन वह निरंतर बोझ ढोता रहता है. उसी प्रकार मन लगाकर अपने कार्य को पूरा करना चाहिए, काम में ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए.
जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है
चाणक्य कहते हैं कि मुस्कान एक ऐसा आभूषण है जिसे हम खरीदे बिना ही पहन सकते हैं. खुशहाल जीवन जीने और समस्याओं से पार पाने के लिए मन की संतुष्टी जरुरी है, अगर संतुष्ट होंगे तो चेहरे पर मुस्कान सदा बनी रहेगी. चाणक्य के अनुसार आंतरिक रूप से संतुष्ट रहने वाला मनुष्य अपनी समझदारी और संयम से हर परीक्षा को पास कर लेता है. होड़ की दौड़ का हिस्सा न बने. लालच को खुद पर हावी न होने दें.
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