Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने मनुष्य को अपने जीवन में उन चार लोगों से सावधान रहने को बोल जिससे रोज का मिलना है. समय रहते इनकी पहचान नहीं की तो बड़े संकट में फंस सकते हैं. आइए जानते है कौन से हैं वह चार लोग.


प्दुष्टाभार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।


ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव नः संशयः ।।


इस श्लोक में चाणक्य ने बताया है कि दुष्ट पत्नी, चालाक मित्र, बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास मृत्यु को न्यौता देने जैसा है.


दुष्ट पत्नी - चाणक्य के अनुसार जब पत्नी दूसरे पुरुषों के बारे में सोचने लगे. पति से छल और विश्वासघात करने लगे तो ऐसी स्‍त्री का साथ नर्क भोगने के समान है. चाणक्य कहते हैं कि ऐसी पत्नी का त्याग करने में ही भलाई है. आचार्य चाणक्य के अनुसार धन के नष्ट हो जाने पर पत्नी परखना चाहिए. आर्थिक तंगी में जो पति का साथ छोड़कर चली जाए, ऐसी पत्नी के साथ गुजर बसरना करने से बेहतर है अकेले रहना क्योंकि वह सिर्फ धन चाहती है परिवार नहीं.


धोखेबाज नौकर - चाणक्य का मानना था कि जब नौकर आपकी  आज्ञा की अवहेलना करने लगे.धोखेबाजी पर उतर आए सावधान हो जाना चाहिए. ऐसे सेवक मालिक से कभी भी दगा कर सकते है जिससे आपकी जिंदगी में तूफान आ सकता है. चाणक्य कहते हैं कि नौकर को परखना हो तो आर्थिक पहलू पर उसकी पहचान करें. जब वह घर के काम के लिए बाहर जाए तो उस पर नजर रखें. कहीं वह पैसों का नुकसान तो नहीं कर रहा.


झूठा मित्र - सच्चे मित्र की पहचान संकट के समय ही होती है. जो मुश्किल घड़ी में आपका साथ छोड़कर चला जाए वह सच्चा मित्र नहीं हो सकता. झूठे और चालाक मित्रों से दूर रहना ही अच्छा है. इनसे सावधान रहें.


सर्प - जहां सांपों का डेरा हो वहां रहना मृत्यु को बुलावा देना है. ऐसी जगह खतरे से खाली नहीं है क्योंकि सर्प घातक होते है कभी भी वार कर सकते हैं.


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