Chanakya Niti: मनुष्य को श्रेष्ठ कार्य करने चाहिए इसी से उसका सम्मान होता है. जब मनुष्य अच्छे कार्य नहीं करता है तो उसकी स्थिति समाज में एक पशु की तरह मान ली जाती है. चाणक्य ने कुछ ऐसे कार्य बताए हैं जिन्हें मनुष्य को भूलकर भी नहीं करना चाहिए. आइए जानते हैं कौन से है वे कार्य.


आचार्य चाणक्य ने समाज का बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था. चाणक्य ने हर उस वस्तु और विषय का सूक्ष्मता से परीक्षण भी किया जो मनुष्य को प्रभावित करते हैं. इसी क्रिया में उन्होंने पाया कि कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें मनुष्य को नहीं करना चाहिए. चाणक्य के अनुसार अगर मनुष्य इन कार्यों को करता है तो उसका जीवन बर्बाद हो जाता है.


मनुष्य के लिए वर्जित इन कार्यों को लेकर आचार्य चाणक्य का मानना था कि अगर इन कार्यों को किया जाए तो मनुष्य स्वयं का जीवन तो संकटों में डालता है साथ ही साथ अन्य लोगों के लिए मुसीबत पैदा करता है. चाणक्य ने मनुष्य को इन कार्यों से दूर रहने के लिए कहा है.


प्रकृति से छेड़छाड़


चाणक्य के अनुसार मनुष्य को अपने स्वार्थ के लिए गलती से भी प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि प्रकृति बहुत ही शक्तिशाली है. जब कोई इसे क्षति पहुंचाने की कोशिश करता है तो प्रकृति अपने तरह से प्रतिक्रिया देती है. ये प्रतिक्रिया, प्राकृतिक आपदा, महामारी और प्रलय के रूप में सामने आती हैं. इसलिए मनुष्य को प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाले कार्य कदापि नहीं करने चाहिए. ऐसा करने से उसका जीवन तबाह हो सकता है.


सामाजिक तानाबाना खराब न करें


समाज लोगों से बनता है. लोग समाज की पहली इकाई हैं. समाज की सरंचना लोगों के कल्याण के लिए की गई है. क्योंकि अकेला मनुष्य कुछ भी नहीं कर सकता है उसे विकास की सतत प्रक्रिया में अन्य लोगों का भी सहारा लेना ही पड़ता है. जब कोई व्यक्ति लोगों के समूह को अपने हितों के लिए प्रभावित करने लगता है सामाजिक तानाबाना प्रभावित होने लगता है जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं.


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