Chanakya Niti : चाणक्य नीति व्यक्ति को अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करती है. चाणक्य एक योग्य शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे. उनका संबंध प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय से भी था. उनकी शिक्षाएं और दर्शन उनकी नीति में निहित हैं. चाणक्य नीति जीवन में आने वाले अच्छे बुरे समय में व्यक्ति को किस तरह से प्रतिक्रिया देनी चाहिए इसके बारे में बड़ी ही प्रभावशाली तरीके से जानकारी देती है. जो व्यक्ति चाणक्य नीति के अनुसार जीवन जीते हैं उन्हें संकट छू भी नहीं पाते हैं. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति-


धन को सोच समझ कर ही खर्च करना चाहिए


धन व्यक्ति के लिए एक जरूरी साधन है. जिसे बहुत ही सोच समझकर व्यय करना चाहिए. जो व्यक्ति ऐसा नहीं करते हैं उन्हें समय आने पर संकटों का सामना करना पड़ता है. धन व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करता है.व्यक्ति की जरूरते सीमित होनी चाहिए. यानि जिस चीज की जितनी आवश्यकता है उतना उपभोग करना चाहिए. किसी भी वस्तु की अति नहीं करना चाहिए. अति किसी भी चीज की हो उसके बुरे परिणाम ही होते हैं. व्यक्ति भोगविलास की वस्तुओं में डूब जाता है, इन पर जरूरत न होने पर व्यय करता है लेकिन जब समय आता है तो उसे धन की कमी महसूस होती है. धन को बहुत सर्तकता के साथ खर्च करना चाहिए जो ऐसा नहीं करते हैं उन्हें जीवन में हर मोड पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


अधूरा ज्ञान सबसे खतरनाक होता है


चाणक्य के अनुसार ज्ञान अधूरा नहीं होना चाहिए. अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है. इससे अपयश तो मिलता ही साथ ही साथ लज्जित भी होना पड़ता है. ज्ञान प्राप्त करने की एक प्रक्रिया होती है. उस प्रक्रिया के तहत ज्ञान को चरणबद्व तरीके से ग्रहण करना चाहिए. जो आधा अधूरे ज्ञान को पूर्ण ज्ञान समझ कर बहस और तर्क करते हैं दरअसल वे विवाद और कुर्तक करते हैं. ऐसे लोगों से सदैव सावधान रहना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग ज्ञान का उपयोग नहीं करते हैं बल्कि उपभोग करते हैं. ऐसे लोग शिक्षित तो हो सकते हैं लेकिन विद्वान नहीं होते हैं. आधा अधूरा ज्ञान किसी काम का नहीं होता है. इससे न तो अपना और न ही दूसरे का भला हो सकता है. कुछ समय के लिए लाभ मिल भी जाए तो पोल खुलने के बाद ऐसे लोग हंसी के पात्र भी बनते हैं.


Vidur Niti : जीवन में सफल होने के लिए जरूरी है वाणी की मधुरता