Chanakya Niti: चाणक्य को आखिर क्यों कहना पड़ा कि व्यापारियों के लिए कौन सी जगह दूर है, विद्वानों के लिए कोई सीमा नहीं
Motivation Thought in Hindi: चाणक्य नीति (Chanakya Niti) व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है, आइए जानते हैं चाणक्य नीति.
चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य को कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. चाणक्य की चाणक्य नीति अंधेरे में रोशनी दिखाने का काम करती है. आचार्य चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. आइए जानते हैं चाणक्य नीति की कुछ अनमोल बातें-
अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेणः रावणः ।
अतिदानाब्दलिर्बध्दो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि अधिकता किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती है. यानि आत्याधिक सुंदरता के कारण सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारण रावण का अंत हुआ, अत्यधिक दान देने के कारण रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए. जीवन में किसी चीज की अधिकता नहीं रखनी चाहिए.
कोऽतिभारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सुविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि इन लोगों के लिए किसी प्रकार का बंधन, सीमा कोई मायने नहीं रखते हैं, कैसे समझते हैं, चाणक्य कहते हैं कि शक्तिशाली लोगों के लिए कौनसा कार्य कठिन है? व्यापारियों के लिए कौनसा स्थान दूर है, विद्वानों के लिए देश विदेश की कोई सीमा नहीं है, मधुभाषियों का कोई शत्रु नहीं.
चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यापारी है उसे स्थान सीमा का ध्यान नहीं रखना चाहिए. यदि वो ऐसा सोचता है तो उसे लाभ नहीं होगा. जबकि विद्वानों के लिए सीमा का बंधन नहीं है. जिसके पास ज्ञान है हर कोई स्थान देने के लिए आतुर रहता है. इसलिए ज्ञान प्राप्त करना चाहिए. वहीं जो लोग मधुर वाणी बोलते हैं वे सभी के प्रिय होते हैं, उनका कोई शत्रु नहीं होता है. जिसका कोई शत्रु नहीं है, उसके लिए कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है.
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