Chanakya Niti Hindi: आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जब संकट बड़ा और उसके निशाने पर सभी लोग हों तो किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उसमें सहयोग करना चाहिए. जब लड़ाई बड़ी हो तो आपस मतभेद और मनमुटावों की दीवार को गिरा देना ही श्रेयष्कर है.
चाणक्य एक योग्य शिक्षक होने के साथ साथ एक योग्य रणनीतिकार भी थे. उन्होंने हर उस चीज का बहुत गहराई से अध्ययन किया था जो समाज को प्रभावित करती हैं. चाणक्य कहते हैं कि बड़े संकट से उभरने के लिए सभी एक जुट हो जाना चाहिए. ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार एक लकड़ी को कोई भी तोड़ सकता है लेकिन जब कई लकड़ियां मिलकर एक गठ्ठर का रूप ले लेती हैं तो उसे तोड़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता है.
संकट के समय व्यक्ति को किस तरह का बर्ताव करना चाहिए इस पर चाणक्य की चाणक्य नीति प्रकाश डालती है. संकट के समय चाणक्य की इन बातों को कभी नहीं भूलना चाहिए.
सभी को एक हो जाना चाहिए: संकट आने पर सभी एक जुट हो जाना चाहिए. संकट से लड़ने के लिए भी एकता की जरुरत पड़ती है. जब सभी का सहयोग मिलता है तभी संकट दूर होता है.
मतभेद भूला देना चाहिए: संकट की घडी जब आ जाए तो आपसी मतभेदों को पूरी तरह से भूला देना चाहिए. मतभेद दूर कर संकट से उभरने की युक्ति लगानी चाहिए. सद्भाव और साहकारिता की भावना से संकट को समाप्त किया जा सकता है.
प्रयासों में खोट नहीं देखना चाहिए: संकट से उभरने के लिए जब प्रयास किए जाते हैं तो उसमें कमी नहीं निकालनी चाहिए. ऐसे समय में जो कमियां निकालने में अपना समय गंवाते हैं वे दरअसल संकट को बल देने का काम करते हैं. संकट के समय गंभीरता और धैर्य को नहीं त्यागना चाहिए.
एक दूसरे की चिंता करें: संकट आने पर एकांकी नहीं होना चाहिए. सक्षम लोगों को संकट के समय अपनी उदारता का परिचय देना चाहिए. संकट के समय जो भी संपन्न और सक्षम होते हैं उन्हें अपनी भूमिका समाज के हित में सुनिश्चित करनी चाहिए. संकट के समय ही इंसान की सही पहचान होती है. संकट के समय ऐसे उदाहरण पेश करने चाहिए जिससे एक सुखद परंपरा का निर्माण हो. समाज और राष्ट्र को पुन: खड़ा करने में यही मददगार साबित होती हैं.
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