Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने जीवन में सुखी रहने के लिए अनमोल विचारों का एक ग्रंथ बनाया है जिसका नाम है नीतिशास्त्र. इसमें सफल होने के लिए कई तरह की नीतिया बताई गई हैं. चाणक्य बताते हैं कि व्यक्ति को कब और किन मामलों में संतुष्ट रहना चाहिए और किसमें नहीं. कुछ ऐसे काम है जिसे करने में इंसान को कभी पीछे नहीं हटना चाहिए और ना ही इनसे संतुष्ट होना चाहिए, तभी सफलता मिलेगी और तरक्की के रास्ते भी खुलेंगे. आइए जानते हैं क्या है वो काम.
सन्तोषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धने ।
त्रिषु चैव न कर्तव्योऽध्ययने तपदानयो :।।
शिक्षा
चाणक्य कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं होती. ज्ञान जहां से मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए क्योंकि काबिल बनने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है. इससे संतोष करने वाला इंसान अन्य लोगों से पीछे रह जाता है. सही और संपूर्ण ज्ञान अर्जित करने वाला व्यक्ति जीवन में किसी भी हालातों का सामना कर सकता है. ज्ञान से ही धन, मान-सम्मान मिलता है इसलिए इससे हमेशा इंसान को असंतुष्ट रहना चाहिए.
जप
मंत्र जाप से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है. अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मन का शांत रहता बहुत जरूरी है तभी एकाग्र होकर मुकाम हासिल कर पाएंगे. चाणक्य के अनुसार मंत्र मन को शुद्ध करते हैं जिससे सकारात्मक विचारों का संचार होता है. जप करने का मतलब अपने लक्ष्य के बारे में सोचना. ये तभी होगा जब विचारों में शुद्धता आएगी. लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर जप करना चाहिए.
दान
दान यानी की दूसरों की मदद. इस एक काम को करने से कभी कतराना नहीं चाहिए. निस्वार्थ भाव से किया दान व्यक्ति को सफलता के मार्ग पर पहुंचा देता है. दान से कभी संतुष्ट न हो. जरूरी नहीं कि दान धन का हो. भावनाओं का दान भी दूसरों का भला करता है. कोई तकलीफ में हो तो मानसिक तौर पर उसका साथ देना भी दान है.
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