Chanakya Niti: चाणक्य नीति कहती है कि हालात कैसे भी उनका डटकर सामना करना चाहिए. परिस्थितियों से हार नहीं मानना चाहिए लेकिन जब परिस्थिति बदलना  मुमकिन ना हो तो खुद की चाल बदल लेना चाहिए तभी सुख और सफलता मिलती है.


चाणक्य ने कुछ ऐसे ही कठिन और खतरनाक हालातों का जिक्र किया है जहां एक पल भी ठहरना जान को खतरे में डालने जैसा है. इन हालातों में फैसला लेने में समय बर्बाद न करें उस जगह को तुरंत छोड़कर भाग निकलने में ही बुद्धिमानी है.



उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे।


असाधुजनसंपर्के य: पलायति स जीवति।।


देश पर हमला -  इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि यदि हमारे राज्य पर किसी दूसरे राजा ने आक्रमण कर दिया है और हमारी सेना की हार तय हो गई है तो ऐसे राज्य से भाग जाना चाहिए. जब देश पर हमला होता है तो वहां रहने वाली जनता सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. आर्थिक तंगी के साथ खाने तक के लाले पड़ जाते हैं.


अकाल पड़ गया हो - जिग क्षेत्र में अकाल पड़ गया हो और खाने-पीने, रहने के संसाधन समाप्त हो गए हों तो ऐसे स्थान से तुरंत भाग जाना चाहिए. यदि हम अकाल वाले स्थान पर रहेंगे तो निश्चित ही खुद के साथ परिवार के भी प्राणों का संकट खड़ा हो जाएगा.


हिंसा वाली जगह - चाणक्य नीति कहती है कि जहां दंगे हो रहे है,कानून व्यवस्था भी हालातों पर काबू पाने में असमर्थ हो गई हो तो ऐसी जगह एक पल भी न रुकें. ऐसी जगह जनहानि सबसे ज्यादा होती है. ऐसी जगह ज्यादा देर तक टिकने पर कानूनी कार्यवाही में भी फंस सकते हैं साथ ही जान को खतरा हो सकता है.


बदले की भावना - जब दुश्मन पूरी ताकत के साथ आप पर वार करने का प्रयास करे तो ऐसे में पलटकर जवाब देने की बजाय वहां से फौरन निकल जाएं.  बिना रणनीति के शत्रु का सामना करना बेवकूफी है. जान बचेगी तो आप उससे दोबारा मुकाबला कर सकते हैं ऐसे में धैर्य रखें और सबसे पहले खुद सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएं.


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