Chanakya Niti: एक अच्छा जीवन जीने के लिए धन बहुत आवश्यक है. हमारे बड़े बुजुर्ग, शास्त्र और चाणक्य भी धन संचय की सलाह देते हैं ताकि संकट काल में परेशान न होना पड़े. धन को लेकर चाणक्य ने विस्तार से नीति शास्त्र में अपने विचार शेयर किए है. कब, कहां, कितना पैसा खर्च करना चाहिए चाणक्य नीति में बखूबी बताया गया है. चाणक्य कहते हैं कि पैसों की बचत करना अच्छी बात है लेकिन कुछ ऐसे काम हैं जहां धन खर्च करने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए. चाणक्य के अनुचार 3 मामलों में पैसा खर्च करने से धन-दौलत कभी कम नहीं होता बल्कि आवक बढ़ जाती है.
असहाय की मदद
चाणक्य कहते हैं कि गरीबों, असहाय और जरूरतमंदों की आर्थिक रूप से मदद करने में कभी कंजूसी न करें. बेसहारा की मदद कई तरीके से की जा सकती है. फिर चाहे वो शिक्षा सामग्री देना हो या फिर स्वास्थ सुविधा. शास्त्रों में भी अपनी कमाई का एक हिस्सा बेसहारा लोगों की मदद करने के लिए निकालने की सलाह दी जाती है. कहते हैं इससे धन कभी कम नहीं होता बल्कि आर्थिक पक्ष मजबूत होता है. समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है.
धर्म के काम
धर्म के कामों में दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. चाणक्य के अनुसार मंदिर और तीर्थ स्थल से कभी बिना दान किए नहीं लौटना चाहिए. धार्मिक कार्यों में पैसा खर्च करने में कभी कंजूसी नहीं करनी चाहिए. यहां धन खर्च करने पर कभी दरिद्रता नहीं आती. यश, कीर्ति और दौलत में वृद्धि होती है.
समाज के काम
समाजिक कार्य में हिस्सा लेना न सिर्फ पुण्य का काम है बल्कि मनुष्य का कर्तव्य भी है. समाज के विकास से ही देश का कल्याण संभव है. सामर्थ्य अनुसार स्कूल, अस्पताल, आदि समाजिक कार्यों में पैसा खर्च करने से संकोच न करें. इससे समाज में मान-सम्मान बढ़ता है साथ ही लोगों की दुआओं से सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है.
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