Chanakya Niti Hindi: आचार्य चाणक्य के अनुसार वही राज्य संपंन और समृद्धि होता है जो अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही प्रयोग करता है और उन्हें सरंक्षण प्रदान करता है. चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति के जीवन में जल का विशेष महत्व है. यानि जल ही जीवन है.
जल के महत्व के बारे में आचार्य चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति को जल की बर्बादी नहीं करना चाहिए जिस प्रकार से व्यक्ति धन के प्रति धारणा रखता है उसी प्रकार से जल के महत्व को समझना चाहिए.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को जल का प्रयोग करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए. इसको बर्बाद नहीं करना चाहिए. गर्मी के मौसम में जल संकट गहराने लगता है. क्योंकि गर्मी अधिक पड़ने से नदियों का पानी कम होने लगता है. जल स्तर में भी गिरावट आती है. जिस कारण पशु पक्षियों और जानवरों के साथ साथ मनुष्य के सामने भी जल की समस्या खड़ी हो जाती है. इसलिए चाणक्य ने तालाब, नहरों और कुआं आदि के सरंक्षण पर ज़ोर दिया है.
तालाबों को बचाएं
जल संकट से बचाने में तालाब,पोखर और नहरों की अहम भूमिका होती है. इसलिए इनका विकास कराने के साथ साथ इनका सरंक्षण भी किया जाना चाहिए. क्योंकि जहां पर तालाब, पोखर और नहरों में जल बारह मास यानि पूरे साल जल रहता है वहां पर तरक्की अधिक होती है. वहां के लोग भी सुखी और संपंन होते हैं.
गर्मी में प्याऊ का महत्व
गर्मी के महीने में जल की कमी होने लगती है ऐसे में सक्षम और जिम्मेदार लोगों को जरुरतमंदों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करनी चाहिए. वहीं पशुधन के लिए भी जल कमी को दूर करना चाहिए.
जल संचय
जल का महत्व समझना चाहिए. जल अनादर नहीं करना चाहिए. जितनी जरुरत हो उतना ही जल लेना चाहिए. ऐसा न करने पर जल की कमी आरंभ हो जाती है. इसीलिए जल संकट से बचने के लिए जल संचय का भी प्रयास करना चाहिए.
पौधा रोपण
वृक्ष धरती के आभूषण है. वृक्ष मनुष्य के सबसे अच्छे मित्र भी हैं. ये जहां पर्यावरण को बेहतर बनाये रखने में अपना योगदान देते हैं वहीं जलस्तर को बनाए रखने में भी मदद करते हैं जहां वृक्ष अधिक होते हैं वहां वर्षा भी अधिक होती है. जिस कारण जल की कमी नहीं होती है.
Chanakya Niti: आर्थिक संकट और बुरा वक्त आने पर नहीं छोड़ना चाहिए इसका साथ