Chanakya Niti : चाणक्य योग्य शिक्षक होने के साथ साथ कूटनीति में भी प्रवीण थे. इसीलिए उन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है. चाणक्य नीति व्यक्ति को एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए भी प्रेरित करती है. चाणक्य शिक्षक होने के साथ एक अर्थशास्त्री भी थे. उन्होंने हर उस विषय का गहनता से अध्ययन किया था जो समाज और मानव को प्रभावित करता है. व्यक्ति को जीवन में किन किन चीजों को अपनाना चाहिए और किन चीजों का त्याग करना चाहिए इस पर चाणक्य ने प्रभावशाली ढंग से अपने विचार व्यक्त किए हैं. उनके ये विचार चाणक्य नीति में मिलते हैं. जानते हैं आज की चाणक्य नीति-


जिसके पास ये है उसके लिए स्वर्ग की कामना व्यर्थ है


स्वर्ग की कामना रखने वालों के लिए चाणक्य कहते हैं कि पुत्र आज्ञाकारी, पत्नी वेदों के अनुसार जीवन जीने वाली और अपने वैभव से जो संतुष्ट है उसके लिए स्वर्ग यहीं है. चाणक्य कहते हैं कि जिसका पुत्र आज्ञाकारी होता है उसका जीवन धन्य हो जाता है. वहीं पत्नी अगर वेदों को पढ़ती है और वेदों की शिक्षाओं पर अमल करती है वहां सुख, शांति और समृद्धि स्थाई होती है. इसी प्रकार जब अपने कार्यों और उपलब्धियों से संतुष्ट होता है उसका जीवन दुख और कष्टों से मुक्त होता है. जिसके पास ये सब होता है उसके लिए यह धरती ही स्वर्ग के समान है. अन्य स्वर्ग की कामना उसके लिए व्यर्थ है.


जिनके पास ये है वही सुखी है


आचार्य चाणक्य के अनुसार पुत्र वही है जो पिता का भक्त है. पिता वो है जो सभी का ध्यान रखता है उनकी सुख सुविधाओं की चिंता करता है. जो विश्वासपास है वही मित्र है. पत्नी वही है जो सुख प्रदान करे अपनी प्रतिभा से परिवार को लेकर चले. अगर ये गुण पुत्र, पिता और पत्नी में निहित हैं तो उस घर पर देवों का आर्शीवाद होता है. इस प्रकार के गुणों से सुज्जित घर मंदिर बना जाता है. घर में एकता बनी रहती है. ऐसे घर में कभी वैभव की कमी नहीं होती है.


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