चाणक्य नीति: व्यक्ति को कल पर कुछ भी नहीं टालना चाहिए. जो ऐसा करते हैं वे बाद में परेशानी उठाते हैं. चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में व्यक्ति का आलस से दूर रहने के लिए कहा है. आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं व्यक्ति को सफल होने के लिए प्रेरित करती हैं. यही कारण है कि चाणक्य नीति को आज भी लोग पसंद करते हैं और उस पर अमल करते हैं. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति-


जीवन के बारे में चाणक्य का मानना था कि ये जीवन बहुत ही सूक्ष्म है. इसलिए व्यक्ति को कल पर कुछ नहीं छोड़ना चाहिए. आत्मा की शुद्धि के लिए जितनी जल्दी हो प्रयास करने चाहिए. छल कपट से दूर रहकर ही आत्म कल्याण संभव है. चाणक्य को ये भी मानना था कि अच्छे कार्य करने के लिए व्यक्ति को समय नहीं खराब करना चाहिए अच्छे कार्य को तत्काल कर लेना ही समझदार होने की निशानी है.


यावत्स्वस्थो हृायं देहो यावन्मृत्युश्च दूरत:
तावदात्महितं कुर्यात् प्राणान्ते किं करिष्यति।


चाणक्य नीति के अनुसार जबतक शरीर निरोग है और मृत्यु दूर है तभी तक अपने आत्मकल्याण का उपाय कर लेना चाहिए, क्योंकि मृत्यु हो जाने पर कोई कुछ नहीं कर सकता.


चाणक्य की इस नीति का भावार्थ ये है कि व्यक्ति को अपने कल्याण के उपाय जीवित रहते ही कर लेने चाहिए क्योंकि मृत्यु के बाद किसी को करने के लिए कोई मौका नहीं मिलता है. इसलिए व्यक्ति को आलस त्याग कर परिश्रम में जुट जाना चाहिए और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए इसी में उसका कल्याण है.


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