Chanakya Niti: खुशियां और गम जीवन का हिस्सा है. दुख है तो सुख भी आएगा. चाणक्य ने सुखी जीवन पर विस्तार से अपने विचार साझा किए है, लेकिन 3 ऐसे दुख है जो व्यक्ति को खोखला कर देते हैं. इन दुखों से सामना हो जाएं तो घर की रौनकर खत्म हो जाती है, व्यक्ति पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है. चाणक्य के अनुसार तीन घटनाएं दुर्भाग्य की निशानी है. आइए जानते हैं मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा दुख.


शक्की जीवनसाथी


शक का कोई इलाज नहीं. एक बार दिमाग में शक के विचार पैदा हो जाए तो जीवन बर्बाद हो जाता है. शक शादीशुदा जिंदगी में जहर घोलने का काम करता. शादीशुदा जिंदगी गाड़ी के दो पहियों की तरह है, एक में भी खराबी आ जाए तो आगे चलना मुश्किल हो जाता है. उसी तरह जीवनसाथी फिर चाहे स्त्री हो या पुरुष एक दूसरे के प्रति अगर शक की भावना उत्पन्न हो जाए तो कई जीवन नर्क बन जाता है. कई बार तो तलाक की नौबत आ जाती है.


विधवा बेटी


सुयोग्य वर और अच्छे घर में बेटी का विवाह करना हर पिता का सपना होता है. बेटी की विदाई पिता के लिए बहुत तकलीफ का समय होता है, लेकिन उससे भी बड़ा दुख है जीते जी उसे विधवा देखना. ये ऐसा दुख है जो न सिर्फ बेटी की खुशियां छीनता है बल्कि ससुराल और मायके दोनों घर की रौनक खत्म कर देता है.


मतकमाऊ बेटा


हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बेटा आदर्शवादी बने, खूब तरक्की करे. बुढ़ापे में मां-बाप का सहारा बने, लेकन जब पुत्र निकम्मा निकल जाए तो माता-पिता के लिए इससे बड़ा दुख कोई नहीं. चाणक्य के अनुसार संतान भले ही एक हो लेकिन अगर योग्य और बुद्धिमान होगी तो माता पिता को कभी वृद्धाआश्रम में नहीं रहना पड़ेगा.


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