Chanakya Niti : चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है. चाणक्य ने अपने अनुभवों और सामाजिक अध्ययन से जो सिद्धांत प्रतिपादित किए वही चाणक्य नीति कहलाए. चाणक्य का संबंध प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय से था, वे वहां के शिक्षक थे. चाणक्य कूटनीति के माहिर थे. वे अर्थशास्त्री भी थे. व्यक्ति के जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव के बारे में चाणक्य ने बहुत ही सूक्ष्मता से अध्ययन किया और इनका किस तरह से सामना करना चाहिए, इसके बारे में बताया. जीवन को समझने में चाणक्य नीति मदद करती है. जानते हैं आज की चाणक्य नीति-


मन में सोचे गए कार्य का ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए


मन में सोचे गए कार्य के बारे में कभी किसी को जानकारी नहीं देनी चाहिए. इसका ढिंढोरा भी नहीं पीटना चाहिए. चाणक्य के अनसुार जो ऐसा करता है उसे कार्य में सफलता नहीं मिलती है. मन में सोचे गए कार्य को मंत्र के समान गुप्त रखकर ही उस कार्य को करना चाहिए. मन की बात को गोपनीय रखकर निरंतर कार्य में जुटे रहना चाहिए.


जब व्यक्ति कार्य में जुटा हो तो उस कार्य का किसी से जिक्र नहीं करना चाहिए. बता देने से कार्य पूरा न होने पर हंसी होती है. वहीं शत्रु को पता चल जाने से वह इसमें अवरोध भी पैदा कर सकता है. कार्य पूर्ण होने पर सभी को स्वत: ही सभी को पता चल जाएगा. वेदों में भी कहा गया है कि ध्यान केंद्रित, चिंतन मनन और गुप्त रूप से कार्य करने से सफलता मिलती ही मिलती है.


व्यावहारिकता ऐसी होनी चाहिए


व्यावहारिकता के बारे में प्रकाश डालते हुए चाणक्य कहते हैं कि कन्या का विवाह अच्छे कुल में करना चाहिए, पुत्र को शिक्षा के कार्य में लगा देना चाहिए. मित्रों को अच्छे कार्यों में और शत्रु को बुराईयों में लगा देना चाहिए. चाणक्य के अनुसार यही व्यावहारिकता है और समय की मांग भी यही है. इस अर्थ यह है कि बेटी का विवाह अच्छे घर में करने से बेटी की चिंता से मुक्त हो जाएं. पुत्र कोअच्छी शिक्षा दिलाने से वह अपना अच्छा बुरा सही तरह से सोच सकेगा और रोजगार प्राप्त कर अच्छा जीवन व्यतीत कर सकेगा. मित्रों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करें ताकि वे अपना जीवन सुधार सके. शत्रु को बुरी आदतों में उलझा दें ताकि वे उसमे उलझा रहे व दूसरों को परेशान न करें. इन आदतों में उलझकर एक दिन वह स्वयं को ही नष्ट कर ले.


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