Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य एक विद्वान होने के साथ-साथ एक योग्य शिक्षक भी थे. उन्होंने विधार्थियों के लिए बहुत ही काम की बातें बताई हैं. विधार्थी जीवन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. यह समय जीवन निर्माण के लिए बहुत ही अहम माना गया है. जो विधार्थी इस समय का पूरी मेहनत और लगन से पूर्ण करता है वही समाज में सम्मान पाता है और सुख सुविधायों को भोगता है. आइए जानते हैं इन बातों को.
इन बातों से बचें: चाणक्य के अनुसार विधार्थी को काम, क्रोध, लोभ, स्वाद, श्रृंगार, मनोरंजन, अतिनिद्रा और अतिसेवा से दूर रहना चाहिए. क्योंकि ये सब विधा अर्जन में बाधा पहुंचाती हैं.
ऐसी विद्या किस काम की: चाणक्य अपनी चाणक्य नीति में कहते हैं कि पुस्तकों में लिखी विद्या और दूसरों के पास जमा किया गया धन कभी समय पर काम नहीं आते हैं. चाणक्य ऐसी विद्या या धन को न होने के बराबर समझते हैं.
आलस न करें: विधार्थियों के लिए आलस सबसे हानिकारक हैं. वे कहते हैं कि आलसी व्यक्ति या छात्र का न तो वर्तमान होता है और न भविष्य.
मित्रता सोच समझ कर करें: मित्रता के बारे में चाणक्य कहते हैं कि कभी भी ऐसे लोगों से मित्रता न करेंे जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी खुशी प्रदान नहीं करती है. इसलिए मित्रता हमेशा अपने बराबर वालों से ही की जानी चाहिए.
धैर्य जरूरी है: चाणक्य के अनुसार अच्छे गुण अचानक नहीं प्राप्त होते हैं. वे कहते हैं कि जिस प्रकार जल की एक-एक बूंद से घड़ा भर जाता है. उसी प्रकार सभी विद्या, धर्म और धन संचय धीरे-धीरे ही होता है. इसलिए निराशा और व्याकूल नहीं होना चाहिए.
सुख की अभिलाषा न करें: चाणक्य की इस महत्वपूर्ण बात को गंभीरता से समझना चाहिए. वे कहते हैं कि सुख की अभिलाषा रखने वालों को विद्या प्राप्त करने के लिए आशा का त्याग कर देना चाहिए. विद्यार्थी को सुख की आशा का त्याग कर देना चाहिए. चाणक्य के अनुसार सुखार्थी के पास विद्या कहां और विद्यार्थी को सुख कहां.
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