Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने अनुभवों के आधार पर मानव के जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया था. इन अध्ययनों के आधार पर चाणक्य ने जो शिक्षाएं और दर्शन व्यक्त किया वही चाणक्य नीति कहलाई. चाणक्य नीति आज भी प्रासंगिक है क्योंकि उनकी शिक्षाएं व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की क्षमता रखती है. चाणक्य स्वयं भी एक योग्य शिक्षक और अर्थशास्त्र विषय के विद्वान थे. आइए जानते हैं कि आज की चाणक्य नीति...


सगे संबंधियों की इस तरह से होती है पहचान


चाणक्य के अनुसार सगे संबंधियों की पहचान होना बहुत ही आवश्यक है. चाणक्य ने सगे संबंधियों की पहचान के लिए कुछ विशेष बातें कही हैं. जिनके आधार पर व्यक्ति सगे संबंधियों के गुणों की पहचान कर सकता है. चाणक्य का मानना था कि सेवक की पहचान तभी होती है जब उसे किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए भेजा जाए. यदि सेवक उम्मीद के मुताबिक कार्य को पूर्ण करने में सफल  हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि सेवक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए उपयुक्त है.


इसी प्रकार दुख के समय में भाई और मित्र की पहचान होती है और धन नष्ट होने पर पत्नी की पहचान होती है. इन स्थितियों में ही व्यक्ति के आसपास मौजूद नजदीकी लोगों की पहचान होती है. दुख, आर्थिक संकट और महत्वपूर्ण कार्य के दौरान जो खरा उतरता है वहीं सच्चा और अच्छा संबंधी होती है. इस बात का जीवन में सदैव ही ध्यान रखना चाहिए. जो इन स्थितियों में काम आने वाले संबंधियों का ध्यान रखता है वह जीवन में हमेशा सर्तक और निश्चिंत रहता है.


सच्चा मित्र कौन है

जीवन में मित्र की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है. लेकिन चाणक्य के अनुसार मित्र हर कोई नहीं हो सकता है. चाणक्य ने मित्र के गुणों के बारे में बड़ी ही विस्तार से प्रकाश डाला है. चाणक्य नीति के अनुसार सच्चा मित्र वही है जो रोग होने पर चिकित्सक के पास ले जाए, मदद के लिए खड़ा रहे. इसके साथ ही शत्रु से घिर जाने पर जो जान की बाजी लगाने से पीछे न हटे और राजकार्य में सहयोग प्रदान करें वहीं सच्चा मित्र है. इसके अतिरिक्त मृत्यु पर श्मशान ले जाए वही अच्छा और असली मित्र कहलाता है. जो इन स्थितियों मे जो साथ न निभा सके वह मित्र की श्रेणी में नहीं आता है.


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