Chanakya Niti In Hindi: आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन उनका एक नाम और भी था. ये नाम था विष्णुगुप्त. आचार्य चाणक्य बहुत ही स्वाभिमानी और राष्ट्रप्रेमी थे. एक बार राजा धनानंद ने उनका अपमान कर उन्हें राजमहल से निकाल दिया. ये बाद चाणक्य को बहुत खराब लगी और अपनी शिखा खोलकर यह प्रतिज्ञा की कि जब तक वह नंदवंश का नाश नहीं कर देंगे तब तक वह अपनी शिखा नहीं बांधेंगे.
चाणक्य ने नंदवंश को नष्ट करने का लक्ष्य बनाया. इसके लिए उन्होंने चंद्रगुप्त की मदद ली. चाणक्य के पास बुद्धि थी और चंद्रगुप्त के पास शक्ति. बुद्धि और शक्ति का संतुलन बनाते हुए बाद में दोनों ने नंदों को युद्ध में पराजित किया और नंदवंश का अंत किया.
यानि मंजिल का पता लगने के बाद उस तक कैसे पहुंंचा जाए इसके लिए रणनीति का होना बहुत जरुरी है. अगर रणनीति नहीं होगी तो मंजिल यानि लक्ष्य को पाने में मुश्किल आएगी. आचार्य चाणक्य के अनुसार लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इन बातों को जरुर अपनाना चाहिए.
कठोर परिश्रम: आचार्य चाणक्य के अनुसार लक्ष्य को पूरा करने के लिए कठोर परिश्रम की अति आवश्यकता पड़ती है. इसलिए मेहनत करने से नहीं घबराना चाहिए.
अनुशासन: मंजिल पर पहुंचने के लिए परिश्रम के साथ साथ कड़ा अनुशासन भी बहुत जरुरी है. जीवन में जब तक अनुशासन नहीं होगा लक्ष्य को भेदने में चुनौती बनी रहेगी. बिना अनुशासन के जीवन में अस्त व्यस्त रहता है.
समय प्रबंधन: चाणक्य मानते हैं कि किसी भी लक्ष्य को यदि पाना है तो उसके लिए सही समय प्रबंधन बहुत ही आवश्यक है. समय प्रबंधन के बिना लक्ष्य को पाने में अड़चने आती हैं.
त्याग: किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए मनुष्य को बहुत सी चीजों का त्याग करना होता है. लक्ष्य की प्राप्ति में जो भी चीज बाधा बने उसका त्याग कर देना चाहिए.
आत्म विश्वास: कोई भी कार्य तभी पूर्ण होता है जब व्यक्ति उस कार्य को पूरे आत्मविश्वास से करता है. लक्ष्य का पाता चल जाने के बाद व्यक्ति को पूरे उत्साह और आत्म विश्वास के साथ लक्ष्य को पूरा करने में जुट जाना चाहिए.