Chanakya Niti Hindi: आचार्य चाणक्य ने हर उस विषय का गहराई से अध्ययन किया था जो मनुष्य को प्रभावित करते हैं. खुशी, क्रोध और शोक व्यक्ति के जीवन में आते जाते रहते हैं. चाणक्य के अनुसार ये कभी स्थाई नहीं होते है. लेकिन फिर भी व्यक्ति इनमें डूब जाता है. यह अवस्था ही व्यक्ति को पतन की तरफ ले जाती है. किसी भी विषय में जरुरत से अधिक लीन हो जाना या डूब जाना अच्छा नहीं होता है. चाणक्य के अनुसार जीवन में किसी भी चीज की अधिकता नहीं होनी चाहिए. यही पीड़ा का कारण है.


चाणक्य श्रेष्ठ विद्वान भी थे. वे प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे लेकिन उन्होंने स्वयं जीवन के उतार चढ़ावों को देखा और भोगा था इसलिए उन्होंने इन चीजों का जिक्र अपने अनुभवों के आधार पर चाणक्य नीति में प्रस्तुत किया है ताकि व्यक्ति इनका अध्ययन कर अपने जीवन को कष्टों से मुक्त कर सके और जीवन को सफल बना सके. इसके लिए चाणक्य ने इन तीन स्थितियों में ये कार्य नहीं करने चाहिए-


प्रसन्न होने पर वचन न दें
अधिक खुश होने की स्थिति में स्वयं नियंत्रण रखना चाहिए. प्रसन्नता के समय जरुरत से अधिक प्रसन्नता घातक होती है. चाणक्य के अनुसार आनंद होने पर किसी को भी वचन नहीं देना चाहिए यानि उत्साह में किसी को कोई वादा नहीं करना चाहिए. इतिहास गवाह है कि जब जब ऐसी स्थिति में वचन दिए गए हैं तब तब नुकसान उठाना पड़ा है.


क्रोध में जवाब न दें
क्रोध की स्थिति में व्यक्ति को शांति को अपनाना चाहिए. क्रोध में व्यक्ति को मुंह पर ताला लगा लेना चाहिए. क्योंकि क्रोध में  प्रश्न का उत्तर देना घातक हो सकता है. इसलिए गुस्सा होने पर संयम बरते और इस स्थिति से बचें.


दुख में निर्णय लेने से बचें
दुख होने या फिर बुरा समय आने पर निर्णय लेने से बचना चाहिए. दुख की घड़ी में कोई भी निर्णय नुकसान दायक साबित हो सकता है. यह निर्णय भविष्य के लिए भी चुनौती खड़ा कर सकता है. इसलिए दुख की घड़ी में दिल से नहीं दिमाग से काम लेना चाहिए.


Chanakya Niti: हर किसी के जीवन में है इस चीज का है बड़ा महत्व, पहचानें इसका मोल