Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने भारत की रक्षा के लिए अपनी चतुर नीतियों के बलभूते ही सिकंदर को मात दी थी. चाणक्य कहते हैं कि लक्ष्य जितना बड़ा होगा कठिनाइयां भी उतनी आएंगी. कहते हैं ना कि व्यक्ति को तब तक हार नहीं माननी चाहिए जब तक मंजिल ना मिल जाए. जो सिर्फ जीत पर विश्वास करते हैं अंत में सफलता उन्हीं की होती है. चाणक्य ने बताया है कि जब लगातार हार या निराशा का सामना करना पड़े तो चाणक्य की ये एक बात याद कर लें. इस चीज पर गौर करने के बाद हर काम में कामयाबी मिलेगी.


प्रभूतंकार्यमल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति।


सर्वारंभेणतत्कार्यं सिंहादेकंप्रचक्षते॥



  • आचार्य चाणक्य ने छठें अध्याय के 16वें श्लोक में सफलता का मूलमंत्र बताया है. चाणक्य शेर का उदाहरण देकर बताते हैं कि जिस तरह शेर अपने शिकार को पाने के लिए पूरी एकाग्रता के साथ कोशिश करता है, उसी प्रकार मनुष्य को अपने लक्ष्य प्राप्ति में फोकस रहना चाहिए. ध्यान भटका तो मौका और सफलता दोनों हाथ से छूट जाएंगे और फिर दोबारा उसे पाने के लिए शून्य से शुरुआत करनी पड़ेगी. एकाग्रता ही व्यक्ति के सफल होने का पैमाना तय करती है.

  • शेर अपने शिकार को झपटने के लिए पूरी शक्ति लगा देता है उसी तरह व्यक्ति तभी सफलता हासिल कर पाएगा जब वह ईमानदार होकर अपने काम के प्रति मेहनत करे. काम को शुरुआत के साथ ही पूरी एनर्जी से करेंगे तो आगे का रास्ता सुलभ हो जाएगा. वहीं आरंभ में ही आलस दिखा दिया तो विफल होना तय है.

  • काम के प्रति ढीलापन कामयाबी को हमसे दूर करता है.चाणक्य के इन तरीकों को अपनाकर काम की करेंगे तो सफलता आपकी मुठ्‌ठी में होगी. जिस तरह शेर अपने शिकार को भागने का कोई मौका नहीं देता उसी प्रकार अपने लक्ष्य को हालिस करने के लिए कोई मौका न छोड़ें.


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