Chanakya Niti: हर इंसान चाहता है कि उसकी खुशहाल जिंदगी में कभी दुख के बादल न मंडराए लेकिन विधि का विधान है सुख है, तो दुख भी जरुर आएगा. ये हम पर निर्भर करता है कि हम सुख में कैसा बर्ताव करते हैं और दुख के समय परिस्थिति का किस तरह सामना करते हैं.
आचार्य चाणक्य ने संकट के समय कैसा व्यवहार करना चाहिए इस पर कई महत्वपूर्ण बातें बताई है जिनका पालन करने वाले मुसीबत के वक्त कभी घबराते नहीं बल्कि हंसी-खुशी इस दुख की घड़ी को झेल जाते हैं और सुखी पलों का आनंद उठाते हैं. आइए जानते हैं मुश्किल घड़ी में कैसा बर्ताव करना चाहिए.
सकारात्मक सोच, समझदारी और संयम से मिलेगी सफलता
संकट की घड़ी में उचित सलाह, ज्ञान, अनुभव और हौंसले से ही आपकी ताकत बनते हैं. विपरीत हालातों में इन चीजों को कभी नजरअंदाज न करें. संकट आने पर मन मस्तिष्क को विचलित न होने दें. विचलित दिमाग कभी सही निर्णय नहीं ले सकता. किसी भी छोटी या बड़ी लड़ाई में बल के साथ बुद्धि का प्रयोग किया जाए तो उसमें जीत की संभावनाएं 100 प्रतिशत हो जाती है. नकरात्मक सोच को हावी न होने दें. संकट में कई लोग आपको नीचा दिखाएं, निंदा करें, साथ होकर भी मन में बुरे विचार पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसे लोगों से दूरी बनाएं और अच्छी संगत में रहें.
एकता से टलेगा खतरा
याद रखें किसी भी संकट से उबरने के लिए हिम्मत और एकता बहुत जरुरी है. अगर आप संकट काल में अहम का भाव रखेंगे तो हारना निश्चित है. एक अकेला व्यक्ति अपनी लड़ाई खुद लड़ता है लेकिन जब बात परिवार या समाज की हो तो इसमें एक-दूसरे का पक्ष जानना और दूसरों को साथ लेकर चलने की भावना होना जरुरी है तभी सफलता मिलती है और कोई तीसरा बाल भी बांका नहीं कर पाता. ऐसे समय में सबसे जरुरी है एक-दूसरे में कमी न निकालें
सतर्क रहें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मुसीबत के समय सावधानी बरतना बहुत जरूरी होता है, क्योकि संकट काल में व्यक्ति के पास सीमित अवसर होते हैं और चुनौतियां बड़ी होती हैं. ऐसे में जरा सी चूक बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए पहले से सावधान रहना बहुत ही जरूरी है.
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