Chanakya Niti: विष दो लेकिन किसी को विश्वासघात न दो. ये बात इसलिए कही जाती है कि व्यक्ति जब किसी चीज पर विश्वास करता है और उसे उसी से जब धोखा मिलता है तो व्यक्ति पूरी तरह से टूट जाता है. कभी-कभी ये मृत्युल्य कष्ट भी प्रदान करता है.


चाणक्य के अनुसार अधिक मोह, अज्ञानता और जरुरत से ज्यादा दूसरे के प्रति समर्पित हो जाना ये कुछ ऐसे कारण है जिनकी वजह से व्यक्ति को सबसे अधिक विश्वासघात जीवन में झेलना पड़ता है. चाणक्य नीति के अनुसार इन स्थितियों से बचा जा सकता है. लेकिन इसके लिए व्यक्ति को धैर्य और अपनी इंद्रियों को काबू करना होगा. जो इंद्रियों पर काबू कर लेता है उसे जीवन में कोई भी धोखा नहीं दे पाता है.


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ज्ञान: यह एक ऐसा शास्त्र है जो विश्वासघात को नजदीक नहीं देता है. जब व्यक्ति ज्ञानी होगा और उसे विषयों की पूर्ण समझ होगी तो वह हर परिस्थिति को आसानी से समझ लेगा. परिस्थितियों को समझने की क्षमता विकसित होने के बाद धोखा खाने की संभावना क्षीण हो जाती है.


मोह: किसी व्यक्ति से उतना ही लगाव रखें जिसका वह हकदार है. यानि जिस व्यक्ति से आप प्यार कर रहे हैं उसे चाह रहे हैं तो यह बात भी समझ लेना चाहिए कि क्या सामने वाला भी आपको उतना ही प्यार और सम्मान प्रदान कर रहा है. अगर ऐसा नहीं है तो धोखा मिलना तय है.


कमजोरी: व्यक्ति को अपनी कमजोरियों को कभी भी सार्वजनिक नहीं करना चाहिए. कमजोरियां जाहिर होने शातिर किस्म के लोग लाभ लेने की चेष्टा करने लगते हैं और मौका पाकर धोखा देते हैं. इसलिए अपनी कमजोरियों को नियंत्रण में रखें.


लालच: ये एक ऐसा रोग है जिसका लग जाता है उसका सर्वनाश होना तय है. इसलिए इससे बचकर रहना बहुत ही जरुरी है. लालच की नींव पर विकसित होने वाले संबंध मजबूत और टिकाऊ नहीं होते हैं. यहां धोखा मिलने की पूरी संभावना रहती है.


सत्य: ये गुण व्यक्ति को गंभीर से गंभीर परिस्थितियों में बचाए रखता है. सत्य का मार्ग व्यक्ति को कभी भी त्यागना नहीं चाहिए. जो सत्य के मार्ग पर चलते हैं उनकी सहायता के लिए सदैव ईश्वर खड़ा रहता है. ऐसे लोगों को धोखा मिल भी जाए तो उससे उभरने में अधिक समय नहीं लगता है.


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