चाणक्य नीति: महिलाओं को रखना चाहिए इन पांच बातों का ध्यान
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में स्त्रियों के बारे में कुछ ऐसी बातें बताई हैं जिन्हें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. जो स्त्री चाणक्य की इन बातों पर अमल नहीं करती है उसे अपमान और अपयश झेलना पड़ता है.
Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य ने समाज को प्रभावित करने वाली हर एक विषय वस्तु का बड़ी गहराई से अध्ययन किया था. इस अध्ययन के आधार पर उन्होंने जो शिक्षाएं प्रतिपादित की उन्हें अपनी चाणक्य नीति में समाहित किया. जो आज भी प्रासंगिक हैं.
चाणक्य ने स्त्रियों के गुणों की भी चाणक्य नीति में विस्तार से वर्णन किया है. चाणक्य अनुसार स्त्री में ये पांच चीजें नहीं होनी चाहिए. चाणक्य ने स्त्रियों के लिए अवगुण के समान बताया है. इसलिए स्त्रियों को इन अवगुणों से बचना चाहिए. आइए जानते हैं वे पांच अवगुण कौन-कौन से हैं.
आलस: चाणक्य के अनुसार स्त्री के लिए आलस एक शत्रु के समान है. जो स्त्री आलस करती है वह परिवार और समाज में सम्मान प्राप्त नहीं करती है. ऐसी स्त्री निंदा की पात्र होती है. इसलिए स्त्रियों को आलस से दूर रहना चाहिए.
निंदा रस: स्त्रियों को निंदा रस से दूर रहना चाहिए. चाणक्य ने कहा है कि जो स्त्री हमेशा निंदा रस में डूबी रहती है वह अवगुणों से भर जाती है. स्त्री को बुराई करने से बचना चाहिए. जो स्त्री दूसरों की सदैव बुराई करती रहती है, संतुष्ठ नहीं रहती है. एक समय ऐसा आता है जब बुराईयां स्वयं उसमें प्रवेश कर जाती हैं. बुराई का प्रवेश करने से मन और मस्तिष्क सही और गलत का फैसला नहीं कर पाता है. जिस कारण उसे परेशानियां भोगनी पड़ती हैं.
लालच: चाणक्य ने स्त्रियों के लिए लालच को एक रोग की तरह बताया है. जो स्त्री लालच करती है वह अपना और अपने परिवार की सुख समृद्धि का नाश करती है. संतुष्ठी का भाव नष्ट हो जाने पर स्त्री की तृष्णा बढ़ती ही जाती है और एक दिन वह अपना सबकुछ गंवा बैठती है. अत: स्त्री को लालच से दूर रहना चाहिए.
पतिव्रता का त्याग: जो स्त्री पतिव्रता का त्याग कर देती है समाज उसे सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता है. ऐसी स्त्री कुल की मर्यादा का भी नाश करती है. स्त्री को पतिव्रता के धर्म को किसी भी परिस्थिति में नहीं त्यागना चाहिए.
कठोरता: चाणक्य के अनुसार स्त्री को कठोर हृदय का नहीं होना चाहिए. विनम्रता और शालीनता स्त्री के दो ऐसे गुण हैं जिन्हें अपनाकर स्त्री समाज और परिवार में अपने सम्मान में वृद्धि करती है. स्वभाव से जो स्त्री कठोर होती है, वाणी में उग्रता होती है ऐसी स्त्री अलग थलग पड़ जाती है. घर में कलह का वातावरण बना रहता है.
चाणक्य नीति कहती है सुखार्थी के पास विद्या कहां और विद्यार्थी को सुख कहां