Chanakya Niti: जीवन में खराब समय और संकट अचानक आता है. इसलिए व्यक्ति को सदैव आने वाले संकटों के लिए तैयार रहना चाहिए. जो व्यक्ति आज में जीते हैं और भविष्य के बारे में कोई विचार नहीं करते हैं उन्हें संकट की घड़ी में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है. चाणक्य के अनुसार खराब समय आने पर व्यक्ति को हताश और निराश नहीं होना चाहिए और बहुत सोच समझकर ही कार्य को करना चाहिए.


चाणक्य के अनुसार बुरे वक्त में कुछ ऐसी स्थितियां भी आती हैं जब व्यक्ति को बहुत अधिक मुश्किल आने लगती है. लेकिन ये वही समय होता है जब व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा होती है. इस गंभीर परिस्थिति से ही व्यक्ति की कुशलता का पता चलता है. कोई भी गलती या लापरवाही संकट के आकार में वृद्धि कर सकती है. चाणक्य की मानें तो व्यक्ति को संकट के समय इन स्थितियों से बचकर रहना चाहिए.


आवेश में नहीं करना चाहिए कोई भी कार्य
आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को आवेश में आकर कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए. आवेश में आकर व्यक्ति गलती कर सकता है जिससे कार्य बनने की बजाए बिगड़ भी सकता है. संकट की स्थिति में आवेग में नहीं आना चाहिए. बहुत ही गंभीरता से सभी पहलू की पड़ताल करने के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिए.


अति उत्साह में बिगड़ते हैं काम
समय बुरा हो या संकट बड़ा हो तो अति उत्साह से काम बिगड़ता है. संकट की घड़ी में बड़ी ही धैर्यता के साथ कार्य करना चाहिए. अति उत्साह से संकट से बचने के लिए बनाई रणनीति या फिर योजना विफल हो सकती है. संकट से बचने के लिए मन और चित्त को शांत रखते हुए प्रयास किए जाने चाहिए. तभी संकट से उभरने में मदद मिलती है.


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