चाणक्य नीति: तारीफ सुनने की जिन्हें आदत होती है वे सच्चाई से कोसों दूर रहते हैं
चाणक्य की शिक्षाएं जीवन में उतारने से व्यक्ति सफलता के सोपान को स्पर्श करता है. चाणक्य की शिक्षाएं बहुत ही व्यवहारिक हैं जो जीवन के कई मोड़ों पर काम आती हैं.
आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए प्रेरित करती हैं. उनकी शिक्षाओं में दर्शन छिपा है जो व्यक्ति को महान बनने में सहायोग प्रदान करता है. जो व्यक्ति चाणक्य नीति की शिक्षाओं को अमल में लाता है उसे दैनिक जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति-
तारीफ सुनने वाला व्यक्ति सच्चाई से रहता है दूर: जो व्यक्ति प्रशंसा सुनने का आदी है वह अपने आसपास होने वाली घटनाओं की सत्यता से पूरी तरह से अनिभिज्ञ होता है. राजा और प्रशासक को इस बीमारी से बचना चाहिए नहीं तो राज्य और व्यवस्था चौपट होने का खतरा बना रहता है. जो व्यक्ति सदा प्रशंसा करने वालों से घिरा रहता है उसके कार्य करने की क्षमता में भी गिरावट आती है. ऐसे व्यक्ति गलत फहमी का शिकार रहते हैं. जिस राजा के दरबार में तारीफ करने वालों की संख्या अधिक होगी उस राज्य को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक सकता है.
आलोचना सुनने नहीं घबराना चाहिए: व्यक्ति को सदेव आलोचना सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए. आलोचना और बुराई करने वालों में फर्क होता है. इस फर्क को भी समझना बहुत जरूरी है. आलोचना व्यक्ति को श्रेष्ठ कार्य करने के लिए प्रेरित करती है. आलोचना किसी भी व्यक्ति को महान बनाती हैं. जो राजा आलोचना सुनने के लिए अपने कानों को हमेशा खुला रखता है वह जनप्रिय होता है. आलोचक कार्य को और अधिक बेहतर बनाने की राह दिखाते हैं. जो शासक और प्रशासक आलोचकों का अपने दरबार में स्वागत करता है उसके कार्य में निपुणता और लोककल्याण की भावना छिपी होती है.
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