Chanakya Niti: युवा अवस्था नहीं धर्म है, युवाओं को आराम नहीं परिश्रम करना चाहिए
चाणक्य नीति में निहित शिक्षाएं इंसान के लिए बहुत ही उपयोगी हैं. जो व्यक्ति इन शिक्षाओं को अपने जीवन में उतार लेता है उसे कभी कोई दिक्कत नहीं होती है. समस्या आने पर ऐसे व्यक्ति उसका निदान भी आसानी से खोज लेते हैं.
Chanakya Niti : चाणक्य नीति की प्रासंगिकता आज भी कम नहीं हुई है. आज भी करोड़ों लोग चाणक्य नीति में बताई गईं बातों पर अमल कर अपने दिन की शुरूआत करते हैं. चाणक्य विख्यात तक्षशिक्षा विश्वविद्यालय के आचार्य थे. जिन्हें अर्थशास्त्र का पूर्ण ज्ञान था. इन्हें कौटिल्य और विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है. चाणक्य की शिक्षाएं चाणक्य नीति में निहित हैं. जो व्यक्ति को सफलता पाने के लिए प्रेरित करती हैं. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति....
युवाओं को आराम नहीं परिश्रम के बारे में सोचना चाहिए
चाणक्य के अनुसार युवा एक शारीरिक अवस्था नहीं है बल्कि एक धर्म भी है. युवा ही बदलाव के सबसे प्रबल सर्मथक होते हैं. जिस राज्य के युवा आलसी, चितंनहीन, अशिक्षित, अंसस्कारी होते हैं उस राज्य का भविष्य अंधकारमय होता है. युवा ही किसी भी राज्य की असली शक्ति होते हैं. जिस राज्य में युवाओं में संख्या सबसे अधिक होगी वह राज्य उतनी ही ऊर्जावान और विकास के पथ पर अग्रसर होगा.
युवास्था में आलस्य का त्याग करना चाहिए. इस अवस्था में कुछ सिद्ध करना चाहिए. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कड़ी साधना करना चाहिए. समाज,परिवार और मित्र जिस पर गर्व महसूस करें ऐसे कार्य करने चाहिए. युवा ही समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं. युवाओं को इस अवस्था में अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए. उसके द्वारा किए गए कार्यों से सबसे निचले स्तर पर मौजूद व्यक्ति के जीवन स्तर को सुधारने में क्या योगदान होगा, इसके बार में भी विचार करना चाहिए. इस अवस्था को जो सूरज की रोशनी में तपाता है वहीं स्वर्ण की तरह चमकता है.
झूठ बोलने वाला कितना ही करीबी क्यों न हो छोड़ देना चाहिए साथ
झूठा व्यक्ति कितना ही करीबी क्यों न हो उसका जितनी जल्दी साथ छूट जाए उतना ही अच्छा है. झूठा व्यक्ति सिर्फ अहित करने के अलावा कोई कार्य नहीं करता है. झूठ बोलना जब व्यक्ति का स्वभाव बन जाता है इसके गंभीर परिणाम उठाने पड़ते हैं. समय रहते अगर इन पर ध्यान न दिया गया तो ये परिवार को नष्ट कर देते हैं. समाजिक तानेबाने को भी प्रभावित करते हैं. झूठ बोलने वाला कितना ही सगा क्यों न हो उसका साथ छोड़ देने में ही भलाई है. अन्यथा उसके झूठ बोलने के स्वभाव से दूसरों की भी गंभीरता में हृास होने लगता है.
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