चाणक्य नीति: हर माता पिता का सपना होता है कि उसकी संतान योग्य बने. चाणक्य के अनुसार योग्य संतान जहां कुल का नाम रोशन करती है वहीं श्रेष्ठ राष्ट्र के निर्माण में भी अपना योगदान देती है. संतान कैसे योग्य बने ये एक बड़ा और जटिल प्रश्न है. आचार्य चाणक्य की 'चाणक्य नीति' इस पर गंभीरता से प्रकाश डालती है.


योग्य संतान माता पिता का अभिमान होता है. जिनकी संतान प्रतिभाशाली और योग्य होती है समाज में ऐसे माता पिता को सम्मान मिलता है. संतान अच्छी हो तो माता पिता का जीवन धन्य हो जाता है. संतान को योग्य बनाने के लिए चाणक्य की इन 10 बातों को जरूर समझना चाहिए-


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चाणक्य की ये हैं 10 प्रमुख बातें


1- सदाचारी बनाएं: माता पिता को बच्चों में सदाचार के गुण पैदा करने चाहिए. शिक्षा के साथ- साथ जिस बच्चे में सदाचार के गुण होते हैं वे दूसरों की तुलना में अधिक समझदार होते हैं.


2- झूठ बोलने की आदत न पनपने दें: बच्चों में झूठ बोलने की आदत को हरगिज न पनपने दें. बच्चों को सदैव सच बोलने के लिए प्रेरित करें. सच के महत्व के बारे में उदाहरण के साथ बताएं.


3- अनुशासन का महत्व बताएं: अनुशासन से जीवन को जीने की कला आती है. इसलिए बच्चों के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है. बच्चों में आरंभ से ही अनुशासन की भावना पैदा करें. जैसे समय पर सोना, समय पर खाना और खेलना. ये सभी कार्य अनुशासन के दायरे में ही करने चाहिए.


4- परिश्रमी बनाएं: बच्चों को परिश्रम करने के लिए भी प्रेरित करें. परिश्रम का जीवन में क्या महत्व है इसके बारे में भी बताएं.  किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए कैसे परिश्रम किया जाता है इसके बारे में बताएं.


5- प्रकृति के बारे में बताएं: जीवन जीने के लिए प्रकृति की निर्भरता किस तरह से है इस बारें में बच्चों को बताएं. प्रकृति के सरंक्षण के लिए प्रेरित करें. प्रकृति द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुओं की उपयोगिता के बारे में जानकारी दें.


6- शिक्षा का महत्व: बच्चों के लिए शिक्षा का महत्व क्या है इसके बारे में अभिभावकों को ईमानदारी से बताना चाहिए. शिक्षा कैसे व्यक्तित्व निर्माण में सहायक है इसके बारें में बताएं. शिक्षा के वास्तविक महत्व को समझाएं.


7- खेलने के लिए प्रेरित करें: शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के लिए खेल का भी महत्व है. बच्चों को ऐसे खेले खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिनसे उनका मानसिक और शारीरिक दोनों का विकास हो सके.


8- महापुरुषों के बारे में बताएं: बच्चों को आर्दश बनाने के लिए महापुरुषों के बारे में बताएं. उन्हें महापुरुषों जैसा बनने के लिए प्रेरित करें.


9- धर्म और आस्था के प्रति के जागरुक करें: बच्चों को धर्म और आस्था के बारे में बताएं. उन्हें धार्मिक बनाएं. ऐसा करने से बच्चों में सही और गलत की समझ विकसित होगी.


10- आज्ञाकारी बनाएं: बच्चों के सामने माता पिता को सदैव ही उच्च आचरण पेश करना चाहिए. तभी बच्चे आज्ञाकारी बनते हैं. जिन माता पिता के बच्चे आज्ञाकारी होते हैं वे सौभाग्यशाली होते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें खुद भी आर्दश माता पिता के तौर पर प्रस्तुत करना चाहिए.


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