चाणक्य नीति : इतने लोगों से होना चाहिए छिपाने और छिपने का प्रयास
Chankya niti 2021 : आचार्य चाणक्य ने स्पष्ट किया है कि व्यक्ति को कुछ लोगों से तथ्य छिपाने और दुष्ट से स्वयं छिपने पर जोर देना चाहिए.
महान भारतीय दार्शनिक चाणक्य आचार्य ने व्यक्ति को दुष्ट से छिपने को कहा है. क्योंकि वह किसी भी प्रकार से घातक हो सकता है. साथ ही उन्होंने कुछ लोगों से अपनी वास्तविक स्थिति छिपाने पर जोर देने को कहा है.
तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम् ।।
चाणक्य कहते हैं कि सांप का विष उसके दांत में, मक्खी का विष उसके सिर और बिच्छू का विष उसकी पूंछ में होता है. यानी विषैले प्राणियों के केवल एक-एक अंग में ही विष होता है. लेकिन दुष्ट व्यक्ति के सभी अंग विष से भरे होते हैं. चाणक्य कहते हैं कि दुर्जन व्यक्ति सदैव सामान्य जन को पीड़ा देते रहते हैं उनकी सोच ही नकारात्मक होती है. अगर आप जीवन में सुख शांति से रहना चाहते हैं तो उपरोक्त आठों प्रकार के लोगों से बच कर रहना ही उचित है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आठ तरह के लोगों को हमेशा बच कर रहना चाहिए. जीवन में उनका कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए. असल में ऐसे लोगों का रिश्ता सामान्य जन से नहीं होता है. वे आमजन के दुःख तकलीफ को नहीं समझते हैं. उनके इसके अलावा दुर्जनों से भी बच कर रहना चाहिए.
राजा वेश्या यमो ह्यग्निस्तकरो बालयाचको।
पर दु:खं न जानन्ति अष्टमो ग्रामकंटका:।।
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि संसार में आठ तरह के ऐसे लोग हैं जो किसी भी व्यक्ति की परेशानी को नहीं समझते हैं. चाणक्य के अनुसार, राजा, यमराज, बालक, चोर, वेश्या, याचक पर किसी भी दुख का कोई असर नहीं होता है. इसके साथ ही ग्रामीणों को परेशान करने वाले पर दूसरे के दुख का कोई असर नहीं होता है. उपरोक्त लोगों को कभी भी अपना दर्द नहीं बताना चाहिए. इसका कारण यह है कि वे इस दुृख से गुजरे नहीं होते हैं इससे उऩमें संवेदनाएं नहीं होती है. आपके द्वारा अपना दुःख बताने पर वे उसे खेल में लेकर और बढ़ा सकते हैं या आपकी मजबूरी को वे आपका ढोंग भी समझ सकते हैं।
चाणक्य कहते हैं कि इनके सामने अपनी पीड़ा या दर्द बताने का कोई असर नहीं होता है. चाणक्य का मानना है कि इन लोगों का सामना होने पर व्यक्ति को धैर्य व समझदारी से काम लेना चाहिए. चाणक्य नीति के अनुसार, इन लोगों से बचकर रहने में ही भलाई है.